नई दिल्ली। ब्रेस्टफीडिंग या स्तनपान मां व बच्चे के लिए काफी हितकारी होता है। एक अध्य्यन में पाया गया कि स्तनपान से मां व बच्चे दोनों का दिमाग तेज होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में ब्रेस्टफीडिंग का एक और फायदा बताया है।
वैज्ञानिकों का कहना है, जो महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं। उनके बच्चों में सोचने-समझने की क्षमता घटने का रिस्क कम रहता है। रिसर्च करने वाली यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजलिस के वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका सिर्फ बच्चे पर ही नहीं, बढ़ती उम्र में मां के दिमाग पर भी सकारात्मक असर पड़ता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार जो माएं कभी ब्रेस्टफीड नहीं कराती उनके मुकाबले ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं के बच्चों में सोचने-समझने की क्षमता अधिक बेहतर हो सकती है।
शरीर के साथ ब्रेन पर भी सकारात्मक असर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शोधकर्ता मॉली फॉक्स कहती हैं, पहले हुए कई अध्यन में कहा गया था कि मां का दूध बच्चे को लम्बे समय तक सेहतमंद बनाए रखता है, मगर हमारी स्टडी यह भी बताती है कि इससे मां की सेहत पर क्या असर पड़ता है।
रिसर्च के मुताबिक जो महिलाएं ब्रेस्टफीड कराती हैं उनमें उम्र के 50वें पड़ाव पर भी उनका दिमाग ब्रेस्टफीड न कराने वाली महिलाओं के मुकाबले अधिक बेहतर काम करता है।
मॉली फॉक्स के अनुसार रिसर्च के नतीजे इसलिए अलर्ट करने वाले हैं क्योंकि उम्र के 50वें पड़ाव पर सोचने-समझने की क्षमता घटती है। अल्माइमर्स और डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है। बताया गया कि अमेरिका में दो तिहाई महिलाएं इससे जूझ रही हैं।
मां के दूध से नवजात शिशु को होने वाले ये 4 फायदे
बेहतर होता है इम्यून सिस्टम: जन्म के पहले घंटे में ही मां का दूध पीने वाले बच्चों की कम उम्र में मौत का खतरा 20 फीसद तक कम हो जाता है। बच्चा वैक्सीनेशन के प्रति बेहतर रिस्पॉन्ड करता है।
घटता है संक्रमण का खतरा: मां का दूध पीने से बच्चे में डायरिया का रिस्क कम हो जाता है। आंत में संक्रमण का खतरा लगभग 64 फीसदी तक घट जाता है। 6 माह और उससे अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों में खानपान से जुड़ी एलर्जी के मामले कम सामने आते हैं।
रेस्पिरेट्री सिस्टम रहता है बेहतर: मां का दूध पीने वाले बच्चों में सांस से जुड़े संक्रमण का खतरा 72 फीसदी तक कम होता है। वहीं निमोनिया, सीजनल सर्दी जुकाम का खतरा कम रहता है।
बच्चों का आईक्यू होता है अधिक : मां के दूध में कोलेस्ट्रॉल और अन्य फैट कम होते हैं। नर्व टिश्यू का बेहतर तरह से विकास होता है। ऐसे बच्चों का आईक्यू लेवल 2 से 5 प्वाइंट ज्यादा होता है। इसी तरह उनका हृदय बेहतर तरीके से काम करता है।
इसके साथ ही मां में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 28 फीसदी तक कम हो जाता है वहीं ब्रेस्टफीडिंग कराने से मां को हृदय रोग का खतरा 10 फीसदी तक कम होता है। इसी तरह ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 28 फीसद और आर्थराइटिस का रिस्क 50 फीसदी तक कम होता है।
एक साल में शिशु को यूं सुरक्षा देता हैं मां का दूध
मां का पहला दूध इम्यूनिटी और आंत को सुरक्षा प्रदान करता है। 6 सप्ताह बाद एंटीबॉडी मिलती है। 3 माह बाद कैलोरी बहुत बढ़ जाती है। 6 माह बाद दूध में ओमेगा एसिड बढ़ जाता है।
इससे बच्चे का दिमाग तेजी से विकसित होता है। 12 माह बाद कैलोरी और ओमेगा एसिड का लेवल अधिक होता है, जो मांसपेशियों और दिमाग के विकास में सहायता करते हैं।
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