बाराबंकी। बाराबंकी जिले में इन दिनों शिक्षिका विनीता जयसवाल द्वारा किए जा रहे कार्य की हर तरफ चर्चा हो रही है। विनीता सहायक अध्यापिका हैं वे पिछले 14 सालों से छात्रों को पढ़ा रही हैं। वे यूपीएस पैसर देहात में छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाती हैं।
कोविड-19 महामारी के समय, जब स्कूल बंद थे, तब 47 वर्षीय जयसवाल उन अध्यापकों में से एक थीं, जिन्हें ई-लर्निंग रिसोर्सेज की कमी का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे समय में जयसवाल ने फैसला लिया कि वे अपने छात्रों के लिए लर्निंग को आसान बनाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगी।
गुरुशाला से मिली स्कॉलरशिप
इसी दौरान उन्हें गुरुशाला के माध्यम से वी स्कॉलरशिप प्रोग्राम के बारे में पता चला। जयसवाल को लगा कि यह उनके लिए अच्छा मौका है और उन्होंने इसके लिए आवेदन कर दिया। जयसवाल के अकादमिक प्रयासों को देखते हुए उन्हें स्कॉलरशिप मिल गई। महामारी के दौरान छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के उद्देश्य के साथ,जयसवाल ने स्कॉलरशिप में मिली राशि से एक लैपटॉप खरीदा। इसकी मदद से वे यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम के अध्यायों को वीडियो फोर्मेट में तैयार कर लेती हैं।
वीडियो बनाकर अपलोड किया
जयसवाल कई एजुकेशनल ग्रुप्स के साथ जुड़ी हुई हैं, उनके सहयोग से इस काम को पूरा किया जाता है। जयसवाल बताती हैं कि ये वीडियो लैसन 10 से 15 मिनट के होते हैं, और ज़्यादातर वीडियो उनकी अपनी आवाज़ में ही रिकॉर्ड किए गए हैं ताकि छात्र सहजता के साथ इन्हें समझ सकें। इसके बाद वीडियोज़ को यूट्यूब पेज पर अपलोड कर दिया जाता है और व्हॉट्सऐप पर भी शेयर किया जाता है।
140 वीडियो अपलोड किया
अब तक मोर्निंग असेम्बली पर 140 से अधिक और महान व्यक्तित्व विषय पर 13 वीडियोज बनाकर यूट्यू बपेज पर अपलोड किए जा चुके हैं। लैपटॉप के अलावा, जयसवाल ने एक प्रिन्टर भी खरीदा है जिससे वे अपने छात्रों को वर्कशीट्स उपलब्ध कराती हैं। आने वाले समय में जयसवाल लड़कियों की शिक्षा पर ज़्यादा ध्यान देना चाहती हैं। स्कॉलरशिप की राशि से खरीदे गए लैपटॉप और प्रिंटर की मदद से वे छात्रों को आज की डिजिटल दुनिया में हर संभव सहयोग प्रदान करना चाहती हैं।
वोडाफ़ोन आइडिया फाउन्डेशन ने वर्ष 2021-22 के लिए ‘लर्निंग विद वोडाफ़ोन आइडिया स्कॉलरशिप’ प्रोग्राम के तहत अध्यापकों को एक लाख रु की राशि दी है। अध्यापकों एवं छात्रों की सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं को दूर करना इस पहल का उद्देश्य है, ताकि उन्हें पढ़ाई के लिए हर ज़रूरी संसाधन मुहैया कराया जा सके।
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