गर्ल्स मार्च फार डिजिटल फ्रीडम का आयोजन, डिजिटल क्रांति-लड़कियों के बिना अधूरा

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Girls' March for Digital Freedom organized, Digital Revolution - incomplete without girls
एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 25 साल से कम उम्र के लगभग 2.2 बिलियन लोगों के पास अभी भी इंटरनेट की सुविधा नहीं है।

लखनऊ। अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर “डिजिटल पीढ़ी हमारी पीढ़ी” थीम के तहत आज इनिशिएटिव फाउन्डेशन इंडिया और एक साथ अभियान ने लखनऊ के बुद्धेश्वर मंदिर स्थित पार्क में संवाद कार्यक्रम के साथ साथ “गर्ल्स मार्च फार डिजिटल फ्रीडम” रैली का आयोजन किया। जिसमें सैकड़ों की संख्या मे बालिकाओं सहित समाजसेवियों और समुदाय के लोगो ने भागीदारी की।

Digital revolution - incomplete without girls
लड़कियों से संवाद करते हुए इनिशिएटिव फाउंडेशन के निदेशक अमित कुमार

इस अवसर पर सभी ने “डीजीटल पीढ़ी-हमारी पीढ़ी”, “लडकियों के साथ हो रहा जेंडर आधारित भेदभाव बंद हो”, 18 वर्ष तक बच्चों की शिक्षा मुफ्त करों, बाल मजदूरी बंद करों, बाल विवाह बंद करो, बच्चियों के साथ हिंसा बंद करों” के नारे लगाते हुए मार्च निकाल कर बालिकाओ के अधिकारों तथा अपेक्षाओ की मांग के लिए आवाज बुलंद किया।

डिजिटल क्रांति लड़कियों के बिना संभवन नहीं

आयोजित कार्यक्रम में इनिशिएटिव फाउन्डेशन इंडिया के निदेशक अमित मिश्रा ने इस दिवस के बारे में बताते हुए कहा की डिजिटल क्रांति लड़कियों के बिना नहीं हो सकती हैं जहाँ एक तरफ कोरोना महामारी ने सीखने, जुड़ने और कमाई करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म को तेज किया है, वही दूसरी तरफ लड़कियों के साथ डिजिटल उपयोग में हो रहें भेदभाव को भी उजागर किया हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 25 साल से कम उम्र के लगभग 2.2 बिलियन लोगों के पास अभी भी इंटरनेट की सुविधा नहीं है। लड़कों की तुलना में लड़कियों के डिजिटल उपकरणों का उपयोग करना और उनके स्वामित्व की संभावना बेहद कम होती है, जबकि लड़कियां बदलाव लाने वाली होती हैं। लड़कियां दुनिया भर में अच्छा काम कर रही हैं। वे लैंगिक समानता के लिए परिवर्तनकारी परिवर्तन का एक मूलभूत स्रोत हैं। उनके काम, सक्रियता और नेतृत्व का समर्थन करने के लिए प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसलिए हम लोगों को समाज और परिवार में फैली असमानता और बहिष्कार का विरोध कर सभी के लिए एक डिजिटल क्रांति की शुरुआत करनी चाहिए। ताकि हर लड़की, लड़कियों की यह पीढ़ी -जाति, लिंग, भाषा, क्षमता, आर्थिक स्थिति और भौगोलिक मूल की परवाह किए बिना अपनी पूरी क्षमता से जी सके।

इनिशिएटिव फाउन्डेशन इंडिया संस्था की यूथ लीडर कल्पना ने कहा कि शिक्षा के अभाव मे खुशहाल समाज की कल्पना नही की जा सकती, और आज के दौर की शिक्षा में डिजिटल उपकरणों की उपयोगिता बहुत महत्वपूर्ण हैं। बेटीयां शिक्षित होगी तभी हमारे समाज का सर्वांगीण विकास संभव है। जिस प्रकार सरकार ने अतिमहत्वपूर्ण शिक्षा का अधिकार कानून बनाया है कुछ वैसे ही सरकार को सभी बच्चो के लिए उसके आगे भी निशुल्क शिक्षा के लिए कदम बढ़ाना चाहिए।

आज भी बाल विवाह हो रहे

एक साथ अभियान से जुड़े सूरज ने कहा कि हमारे देश मे बहुत सारी बहने और बेटियां आज भी बाल विवाह, दहेज, लिंग आधारित भेदभाव और हिंसा का सामना कर रही है। शिक्षा और जागरूकता ही वो हथियार है जिससे ऐसी कुरीतियो को दूर किया जा सकता हैं।आज के आयोजित संवाद और जागरूकता मार्च में सरला, शालिनी, सपना, पूजा, किर्ती,शगुन, अनामिका, वर्षा, खुशबू, अंजली, प्रिया,खुशी, सुरभी, ज्योति, मुस्कान सहित अन्य लोगों ने भी अपनी बात कहीं।

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