अयोध्या-मनोज यादव। देश को हिंदू राष्ट्र न घोषित करने पर सरयू में जल समाधि लेने की घोषणा करने वाले परमहंस दास का अयोध्या के संतों ने बहिष्कार कर दिया है। संतों का मानना है कि परमहंस ने फर्जी तरीके से खुद को जगतगुरु घोषित कर लिया था। इनके रोज-रोज के नाटक से संत समाज की गरिमा को ठेस पहुंचती थी।
अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास ने कहा कि परमहंस ने खुद को फर्जी ढंग से जगतगुरु घोषित कर लिया था, जबकि महामंडलेश्वर, जगतगुरु, महंत और श्री महंत की एक अलग परंपरा होती है। पद की प्राप्ति के लिए संत समिति निर्णय लेती है। इसी कारण अयोध्या के संतों ने परमहंस का बहिष्कार करते हुए उन्हें संत समिति ने निकाल दिया है। जानकारी के अनुसार संत समिति के पक्ष में परमहंस आचार्य महंत सर्वेश्वर दास ने पहले ही परमहंस दास का बहिष्कार कर दिया था।
बता दे कि परमंहस ने घोषणा की थी अगर देश को हिंदू राष्ट घोषित न किया गया तो वह दो अक्टूबर गांधी जयंती के दिन 12 बजे सरयू जी में जल समाधि लेंगे, जिसके बाद उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। उन्होंने फिर बयान देते हुए कहा था कि अब वह 7 नवंबर को 2023 को दिल्ली के रामलीला मैदान में आमरण अनशन पर बैठेंगे
हाल ही में जल समाधि लेने की बात कहकर चर्चा में आए परमहंस का विवादों से पुराना नाता रहा है। अखबारों की सुर्खियों और टीवी चैनलों की ब्रेकिंग बनने के लिए हमेशा नए-नए बयान देते रहे हैं। साथ ही लंबे समय तक अनशन, यज्ञ और अनुष्ठान भी करते रहे। बीते साल महंत नृत्यगोपाल दास के खिलाफ बयानबाजी करने के बाद भी परमहंस दास को तपस्वी छावनी से निकाल दिया गया था। टीएमसी के नेता कल्याण बनर्जी की टिप्पणी के बाद परमहंस ने उनका सिर कलम करने वाले को पांच करोड़ रुपये इनाम देने की घोषणा की थी
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