नई दिल्ली। साइबर क्राइम की बढ़ती संख्याओं के बीच बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले भी लगातार प्रकाश में आ रहे हैं। अब तो KYC के नाम पर भी साइबर ठगों ने लोगों को चूना लगाना शुरू कर दिया है। ऐसे तमाम मामले भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने KYC के नाम पर हो रही धोखाधड़ी से बचने की सलाह दी है। बैंक ने कहा कि KYC डॉक्यूमेंट के नाम पर फ्रॉड के कई मामले सामने आए हैं।
इसलिए इन जालसाजों के झांसे में ग्राहक न आएं। दरअसल RBI ने कोरोना के समय में बैंकों को यह आदेश दिया था कि वे KYC (नो योर कस्टमर) के चलते किसी भी अकाउंट को बैन न करें। RBI द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार दिसंबर 2021 तक यह व्यवस्था लागू रहनी चाहिए। किसी अकाउंट में यदि ग्राहकों की पूरी जानकारी नहीं है तो बैंक उस पर प्रतिबंध न लगाएं।
वहीं अब RBI ने ग्राहकों को सतर्क करते हुए कहा कि किसी भी KYC के मामले में फोन, SMS या ईमेल पर अपनी बैंकिंग डिटेल्स कतई न उपलब्ध कराएं। बैंकिंग डिटेल्स जैसे अकाउंट को लॉगइन करने की डिटेल्स, पर्सनल जानकारी, KYC डॉक्यूमेंट, कार्ड की जानकारी, पिन या पासवर्ड, वन टाइम पासवर्ड (OTP) जैसी कोई भी जानकारी किसी अपरिचित व्यक्ति को न देने की सलाह RBI ने ग्राहकों को दी हैं। RBI के मुताबिक इस तरह की जानकारी किसी भी वेबसाइट पर या फिर किसी भी ऐप पर भी देने से बचना चाहिए।
कहा गया कि यदि कोई व्यक्ति इन जानकारियों को मांगता है तो इसकी जानकारी अपने बैंक की शाखा में ग्राहकों को दी जानी चाहिए। रिजर्व बैंक की यह एडवाइजरी तमाम शिकायतों को मिलने के बाद आई है। RBI के मुताबिक यह एक मोडस ऑपरेंडी है। इसमें कॉल, SMS और ईमेल्स के जरिए ग्राहकों की जानकारी मांगी जाती है। ग्राहकों की जानकारी मिलते ही जालसाज लोग अकाउंट से पैसे गायब कर देते हैं। ऐसे में कभी भी अकाउंट संबंधित जानकारी बैंक की शाखा में ही देनी चाहिए या फिर बैंक की वेबसाइट पर जाकर उसे अपडेट करना चाहिए।
बताया गया कि कभी-कभी बैंकों की वेबसाइट से मिलती-जुलती वेबसाइट के लिंक भी साझा किए जाते हैं। इसलिए इस तरह की वेबसाइट के झांसे में आने से बचना चाहिए। RBI, बीमा रेगुलेटर IRDAI, मार्केट रेगुलेटर सेबी और बहुत से बैंक इस तरह की एडवाइजरी समय-समय पर ग्राहकों को देते रहते हैं। बताया गया कि ग्राहकों को चाहिए कि अपने बैंक की डिटेल्स, डीमैट अकाउंट या बीमा पॉलिसी की जानकारी या कोई अन्य जानकारी केवल संबंधित संस्थानों के माध्यम से ही दी जानी चाहिए।