नई दिल्ली। एसयूसीआई (सी) के महासचिव का. प्रभास घोष ने प्रेस बयान जारी कर भाजपा सरकार द्वारा ऐतिहासिक जलियांवाला बाग को थीम पार्क में तब्दील करने की बदतरीन कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि “निर्दाेष भारतीयों पर ब्रिटिश साम्राज्यवादियों के बर्बर हमले के इतिहास के अंतिम निशान को भी मिटा देने के लिए अमृतसर में ऐतिहासिक जलियांवाला बाग के जीर्णाेद्धार के नाम पर भाजपा नेतृत्ववाली केन्द्र सरकार द्वारा की गयी नीचतापूर्ण कार्रवाई की निंदा करने के लिए हमारे पास उपयुक्त शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारत में आजादी आंदोलन के दौरान जब 13 अप्रैल 1919 को दो राष्ट्रवादी नेताओं की गिरफ्तारी का शांतिपूर्ण विरोध करने के लिए जलियांवाला बाग में हजारों की भीड़ इकट्ठी हुई थी, तब तत्कालीन पुलिस प्रमुख जनरल रेजिनाल्ड डायर ने ब्रिटिश सैनिकों को सभी निकासों को अवरुद्ध करने और वहां एकत्रित लोगों पर तब तक गोली चलाने का आदेश दिया था, जब तक कि उनकी गोलियां खत्म न हो जायें।
इस अंधाधुंध फायरिंग में सैकड़ों भारतीय मारे गये थे। अब, बाग के सौन्दर्यीकरण के हिस्से के तौर पर ‘शहीदी कुआं’ को, जिसमें ब्रिटिश सैनिकों द्वारा घेरे गये लोग खुद को बचाने के लिए कूद पड़े थे, कांच की ढालवाली रंग-बिरंगी दीवारों से घेर दिया गया है और उस संकरी गली में, जिससे होकर डायर के सैनिकों ने मैदान में प्रवेश किया था, मूर्तियां उकेरी गयी चमकदार फर्श और पार्श्व दीवारें तैयार की गयी हैं।
बाग में प्रवेश और निकास स्थल को भी बदल दिया गया है। साथ ही मुख्य संरचना के चारों ओर एक कमल का तालाब (कमल भाजपा का चुनाव चिन्ह है) बनाया गया है। इस प्रकार भाजपा नीत सरकार व्यावसायिक उद्देश्य से एक धरोहर स्थल को थीम पार्क में तब्दील कर रही है। भाजपा के प्रधानमंत्री, जिनके पूर्वजों और मार्गदर्शकों ने न केवल भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध किया था, बल्कि उसे कुचल डालने के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवादियों के साथ सहयोग किया था, ने दावा किया है कि यह नव अलंकृत स्मारक जनता को भारत के आजादी के सफर से सीख हासिल करने के लिए प्रेरित करेगा। पाखंड की कैसी चरमावस्था है।का. घोष ने देशवासियों का आह्नान करते हुए कहा कि वे जीर्णाेद्धार की आड़ में इतिहास को मलिन करने और ऐतिहासिक स्मारकों को नष्ट करने के ऐसे घिनौने कृत्य के विरोध में एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करें।