लखनऊ। योगी सरकार उन बच्चों की मदद करेगी जो महामारी की वजह से या अन्य किसी वजह से अकेले हो गए है। ऐसे बच्चों के पालन पोषण से लेकर पढ़ाई —लिखाई का सारा खर्च सरकार उठाएगी। सरकार ऐसे बच्चों के विकास के लिए ढाई हजार रुपऐ प्रति माह देगी।सोमवार को कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) के अंतर्गत आर्थिक सहयोग प्रदान करने का प्रस्ताव पास हो गया। अब 18 वर्ष से कम आयु के ऐसे बच्चे जिन्होंने कोविड-19 के अलावा अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों या माता या पिता में से किसी एक या फिर अपने लीगल अभिभावक को खो दिया है, उन्हें 2500 रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 जुलाई को उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के शुभारंभ मौके पर कोरोना के अलावा अन्य कारणों से अनाथ बच्चों को भी आर्थिक मदद देने की घोषणा की थी। सीएम की घोषणा के 11 दिन बाद ही कैबिनेट ने सोमवार को इस प्रस्ताव को पास कर दिया। इसके साथ ही 18 से 23 वर्ष के ऐसे किशोर जिन्होंने कोरोना या अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों या फिर माता या पिता में से किसी एक अथवा अभिभावक को खो दिया है । ऐसे बच्चे अगर कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के बाद आगे की पढ़ाई कर रहे हैं तो उन्हें भी मदद दी जाएगी। इंटर के बाद नीट, जेईई, क्लैट जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं पास करने वाले युवाओं को भी सरकार 2500 रुपये प्रति माह की आर्थिक मदद प्रदान करेगी। सरकार का मानना है कि आर्थिक कमी की वजह से किसी भी होनेहार का विकास नहीं रूकने पाएं।
इस योजना के तहत जिन बच्चों की माता तलाकशुदा या परित्यक्ता हैं अथवा जिनके माता-पिता या परिवार का कमाने वाला जेल में है या फिर ऐसे बच्चे जिन्हें बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति या बाल वैश्यावृत्ति से मुक्त कराकर परिवार या पारिवारिक वातावरण में समायोजित कराया गया है उन्हें भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।इस योजना का लाभ एक परिवार के अधिकतम दो बच्चों को मिल सकेगा। कैबिनेट ने योजना के संचालन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों को देखते हुए भविष्य में जरूरी संशोधन एवं परिवर्तन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया गया है।
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