वाराणसी। शिवभक्तों के लिए सावन का महीना सबसे खास होता है। अगर बात करें सावन के पहले सोमवार की तो यह सबसे खास माना जाता है। पूरे देश में स्थिति शिवालयों में सावन के पहले सोमवार को रात बारह बजे से लाइन लगना शुरू हो गई थी। शिवालयों में भगवान शंकर का भव्य श्रृंगार किया गया है। भोले की नगरी काशी की तो बात ही निराली है। यहां रात बारह बजे से श्रद्धालुओं की लाइन लग गई थी, दो किमी दूर तक भक्त अपने आराध्य के जलाभिषेक के लिए कतार में लगे दिखाई दिए। शिवभक्तों के जयकारे से मंदिर के आसपास का क्षेत्र गुलजार हो उठा। कोरोना संक्रमण के कारण शिवभक्तों को पाबंदियों के साथ बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पूजन करने को मिल रहा है।
आपकों बता दें कि रविवार शाम से ही श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन पूजन के लिए शिवभक्तों का जत्था काशी पहुंचना शुरू हो गया था। सावन के पहले सोमवार को बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के लिए आधी रात के बाद से शिवभक्त कतारबद्ध होने लगे थे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए बाबा दरबार में प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दर्शन पूजन व जलाभिषेक होगा।
मंदिर से मिली जानकारी के मुताबिक भक्त न तो काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर पा रहे है न ही स्पर्श दर्शन। बाबा का जलाभिषेक भी गर्भगृह के बाहर लगे अरघे से अभिषेक कर रहे है। भक्तों को श्री काशी विश्वनाथ का झांकी दर्शन मिल रहा है। । मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश वर्जित किया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा न होने पाए।
भीड़ को देखते हुए आगे निर्णय लिया जाएगा। पिछले साल की ही तरह गर्भगृह के बाहर लगे अरघे में श्रद्धालु गंगाजल डालकर बाबा का जलाभिषेक कर रहे है। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि सावन को देखते हुए विशेष तैयारी की गई है। मंदिर में गर्भगृह के पहले ही बाबा काशी विश्वनाथ का दर्शन एलईडी स्क्रीन पर श्रद्धालु कर सकेंगे। सभी रास्तों पर पेयजल की व्यवस्था भी होगी। स्टील की रेलिंग के बीच बिछे रेड कारपेट से श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करेंगे। आने वाले श्रद्धालुओं को काशी विश्वनाथ धाम का स्वरूप भी देखने को मिलेगा।
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी का कहना है कि जब शिव कृपा बरसाते हैं तो जीवन में कुछ भी अप्राप्य नहीं रह जाता है। यह साधना का महीना है। अपने अभीष्ट की सिद्धि का मास श्रावण मास है। काशी पुराधिपति सावन के हर सोमवार को विविध स्वरूप धरते हैं। भक्त बाबा के पंच स्वरूपों का शृंगार करते हैं और दर्शन कर धन्य-धन्य हो जाते हैं। इस बार सावन में चार सोमवार दो प्रदोष व दो चतुर्दशी तिथि भी पड़ रही है। यह सुखद संयोगों का सावन है।
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