लखनऊ- बिजनेस डेस्क। यस बैंक ने एक वार्षिक स्टार्टअप एनेबलर प्रोग्राम- येस बैंक एग्री इन्फिनिटी शुरू करने की घोषणा की है। यह प्रोग्राम उद्यमशील उपक्रमों को सलाह देकर फूड और एग्रीकल्चर इकोसिस्टम के लिए डिजिटल वित्तीय समाधान विकसित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। शुरुआती तौर पर एग्री इन्फिनिटी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में ऐसे स्टार्टप को अपने प्रस्तावों के साथ आवेदन करने के लिए आमंत्रित किया जाता है, जो कृषि क्षेत्र में तकनीक से संचालित होने वाले फाइनेंशियल इनोवेशंस की खोज में रुचि रखते हैं।
डिजिटल बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और नेटवर्क
पात्रता मानदंडों को पूरा करने वालों को अपने समाधान विकसित करने और उन्हें कृषि मूल्य श्रृंखला में लागू करने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और समर्थन प्राप्त होगा। इस पहल के माध्यम से, स्टार्टअप्स के एक चुनिंदा समूह को न केवल अनुभवी बैंकरों द्वारा अनुभवात्मक सह-विकास के लिए परामर्श प्राप्त होगा, बल्कि येस बैंक के डिजिटल बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और नेटवर्क तक पहुंच, नए समाधानों को पायलट करने के लिए सहयोगी अवसर और धन उगाहने की सलाह भी प्राप्त होगी। इस प्रोग्राम की लॉन्चिंग पर टिप्पणी करते हुए येस बैंक के एमडी और सीईओ प्रशांत कुमार ने कहा, ‘‘कृषि व्यवसाय में फिनटेक इनोवेशन भारतीय कृषि-खाद्य उद्योग के सस्टेनेबल डेवलपमेंट को आगे बढ़ाने पर फोकस्ड हैं।
स्केलेबल एग्रीबिजनेस मॉडल के लिए ज्ञान के आदान-प्रदान और तकनीकी-सक्षम वित्तीय समाधानों के विकास को सुविधाजनक बनाकर, हमारे कार्यक्रम का उद्देश्य उद्यमियों के लिए एक इनोवेशन इकोसिस्टम से संबंधित नए द्वार खोलना है। कार्यक्रम में सीखने और सहयोगात्मक अवसर प्रतिभागियों को बाजार में अपने समाधान बनाने और परीक्षण करने में मदद करने की दिशा में काम करेंगे, बाद में समाधानों को आगे बढ़ाने पर समर्थन भी प्रदान किया जाएगा।
कृषि मूल्य श्रृंखला में फिनटेक
अब एप्लीकेशंस के लिए खुले एनेबलर प्रोग्राम एग्रीटेक स्टार्टअप्स के लिए ऐसे स्टार्टअप से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट आमंत्रित किया गया है, जो फाइनेंशियल इनोवेशंस पर काम कर रहे हैं, कृषि-फिनटेक में केंद्र में आकर काम कर रहे हैं, या खाद्य और कृषि मूल्य श्रृंखला में फिनटेक समाधानों को प्रोटोटाइप और रोल आउट कर रहे हैं। समाधान की मैच्योरिटी और तैयारी के आधार पर कार्यक्रम छह महीने तक चलेगा। इसका समापन एक डेमो डे के रूप में होगा, जो स्केल-अप के लिए भागीदारीपूर्ण कार्यकलापों की संभावनाओं का पता लगाएगा।
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