नई दिल्ली। कोरोना का नया वैरिएंट अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगा सकता है। आरबीआई की जारी रिपोर्ट की माने तो आने वाले समय में महंगाई की और अधिक मार पड़ सकती है। दरअसल वर्तमान वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती दिखाई दी है और मजबूती का प्रदर्शन किया है।
मगर कोरोना वायरस के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन प्रमुख चुनौती बन गया है। बताया गया कि इसके चलते महंगाई बढ़ने का दबाव भी बढ़ा है।
ओमिक्रॉन के कारण फिर बन रहे विपरीत हालात
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को जारी हुई आरबीआई की रिपोर्ट की प्रस्तावना में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि 2021 में अप्रैल-मई में विनाशकारी दूसरी लहर के बाद आर्थिक वृद्धि में उल्लेखनीय बेहतरी आई है। मगर वैश्विक घटनाओं और हाल ही में सामने आए कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के कारण एक बार फिर से,
प्रतिकूल परिस्थियों का निर्माण हो रहा है। जानकारी के मुताबिक आरबीआई गवर्नर के अनुसार एक मजबूत और सतत सुधार निजी निवेश और निजी खपत को बढ़ाने पर निर्भर करता है। मगर दुर्भाग्य से यह अभी भी अपने महामारी से पूर्व के स्तर पर है। आरबीआई गवर्नर ने यह स्वीकार किया कि महंगाई चिंता का विषय है।
इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने मजबूत आपूर्ति मानकों को अमल में लाए जाने की अपील की है।
दी गई ये चेतावनी
उनके मुताबिक उम्मीद जताई गई है कि उच्च पूंजी और लिक्विडिटी बफल वाले बैंकों की मजबूत बैलेंस शीट भविष्ट के झटके के असर को कम करने में मदद करेगी। शक्तिकांत दास के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के बीच देश के वित्तीय संस्थान लचीले बने हुए हैं और वित्ती बाजारों में नीति और नियामक समर्थन के चलते स्थिरता की स्थिति बनी हुई है।
बताया गया कि इसके अलावा बैंकों पर तनाव परीक्षणों का हवाला देते हुए गवर्नर ने यह चेतावनी भी दी है कि सकल एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) में सितंबर 2022 तक 8.1 से 9.5 फीसदी तक का इजाफा दर्ज किया जा सकता है, जो सितंबर 2021 में 6.9 फीसदी था।
वहीं उन्होंने इस रिपोर्ट में मजबूत और कुशल वित्तीय प्रणाली सुनिश्चिक करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
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