अवनीश पाण्डेय, लखनऊ: यूपी में चार बार मुख्यमंत्री रही मायावती की सियासी गणित अब फेल होती नजर आ रही है। उसके सिपाहसालार लगातार पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में जा रहे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव से ऐन पहले पार्टी में भगदड़ की स्थिति सी बन गई है।
दरअसल 2017 में चुने गए बसपा के 19 विधायकों में से केवल 4 विधायक ही पार्टी में बचे हैं। बाकी सभी ने अब पार्टी से किनारा कर लिया है।
ऐसे बिगड़ा बसपा की गणित
2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन खराब ही रहा था। कुल 19 सीटें बसपा ने जीतीं थी और इसमें भी एक सीट अंबेडकरनगर जिले के उपचुनाव में पार्टी हार गई थी। यानि पार्टी के पास विधायकों की संख्या 18 रह गई थी। पहले अलग-अलग समय पर पार्टी विरोधी गतिविधियों की बात कहकर 9 विधायकों को निलंबित किया गया।
उसके बाद लालजी वर्मा और राम अचल राजभर का निष्कासन हुआ और दोनों ने ही सपा ज्वाइन कर ली। विधायक मुख्तार अंसारी को पार्टी भविष्य में चुनाव न लड़ाने का एलान कर चुकी है। दरअसल उनके भाई और भतीजे ने सपा का दामन थामा तो मायावती ने यह कदम उठाया।
वहीं विधायक सुखदेव राजभर का निधन हो चुका है, ऐसे में बसपा के बसपा के पास बस चार विधायक ही रह गए हैं।
मुसलमानों को साधने का दांव हुआ फेल
पार्टी ने जून में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को विधानमंडल दल का नेता तब बनाया था, जब पार्टी के तत्कालीन विधानमंडल दल नेता लालजी वर्मा ने बसपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था। उन्हें निष्कासित कर जमाली पर दांव लगाकर बसपा ने मुस्लिमों को साधने की कोशिश की थी,
पर यह समीकरण छह माह भी नहीं चल पाया और जमाली ने भी अब खुद को अलग कर लिया है।
मौजूदा समय में बसपा में बचे ये विधायक
गुड्डू जमाली के पार्टी छोडऩे के बाद अब बसपा में केवल चार विधायक ही रह गए हैं। इनमें श्याम सुंदर शर्मा , उमाशंकर सिंह, विनय शंकर तिवारी, आजाद अरिमर्दन ही फिलहाल पार्टी में सक्रिय विधायक रह गए हैं। उमाशंकर सिंह को बसपा प्रमुख मायावती ने नेता विधानमंडल घोषित किया है।
बलिया के रसड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक उमाशंकर सिंह लगातार दो बार चुनाव जीते हैं। इनसे पहले पार्टी ने जिन दो विधायकों को नेता विधानमंडल बनाया, वे दोनों ही बसपा छोड़ गए है।
बसपा से बढ़त में कांग्रेस
बताया जा रहा है कि प्रदेश में विधायकों की संख्या को लेकर तीसरे नंबर की पार्टी बसपा अब एक पायदान नीचे खिसक गई है। इसके खेमें में अब केवल चार विधायक ही बचे हैं। वहीं चौथे नंबर पर रहने वाली कांग्रेस पार्टी अपने दो विधायको को गवाने के बाद भी एक पायदान ऊपर चली गई है। वर्तमान में कांग्रेस में अभी पांच विधायक हैं।
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