अवनीश पाण्डेय, कुशीनगर। सीमावर्ती क्षेत्र के करीब एक दर्जन गाँवों के विकास में आ रही बाधाओं को देखते हुए, यूपी और बिहार की सरकार ने साझा कदम उठाया है। उन्होंने सीमा से सटे इन एक दर्जन गांवों को एक-दूसरे को हस्तांतरित करने की योजना बनाई है। इसको लेकर दोनों राज्य सरकार प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेज रही है।
तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त मिहिर कुमार सिंह ने इसे लेकर पश्चिमी चंपारण के DM को पत्र भेजा है। इन गांवों को एक-दूसरे को स्थानांतरित करने पर राज्यों के बीच सीमा विवाद भी समाप्त होगा। साथ ही किसानों को काफी सहूलियत होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बगहा अनुमंडल के नौरंगिया थाना के मिश्रौलिया मौजा के किसान बीते कुछ वर्षों से जमीन को लेकर आमने-सामने हैंं। हर साल आने वाली बाढ़ से सीमा विवाद हो जाता है। प्रशासनिक स्तर पर भी सीमा को लेकर अनेकों बार कार्रवाई की जा चुकी है।
प्रशासनिक अधिकारियों को यूं होती हैं परेशानियां
तिरहुत(बिहार) के प्रमंडलीय आयुक्त ने अपने पत्र में कहा है, गंडक पार के पीपरासी प्रखंड के 7 गांवों में आने-जाने के लिए UP के रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है. ये गांव हैं – बैरी स्थान, मंझरिया, मंझरिया खास, श्रीपतनगर, नैनहा एवं भैसही कतकी UP के रास्ते इन गांवों में जाने से प्रशासनिक परेशानी होती है।
साथ ही आने-जाने में समय भी अधिक लगता है। इस वजह से विकास कार्यों के संचालन में प्रशासनिक पदाधिकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं कुछ ऐसा ही हाल UP के कुशीनगर के मरछहवा, नरसिंहपुर, शिवपुर, बालगोविंद, वसंतपुर और हरिहरपुर गांव का है।
बताया जाता है कि इन गांवों में जाने के लिए UP प्रशासन को नेपाल और बिहार की सीमा से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे में उन्हें 20 से 25 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती हैं।
ऐसे दूर होंगी परेशानियां
माना जा रहा है कि दोनों राज्यों के गांवों को एक-दूसरे को स्थानांतरित कर दिया जाए तो आवागमन की यह परेशानी दूर हो जाएगी। साथ ही इन गांवों के विकास का रास्ता भी खुलेगा। आयुक्त ने इसके लिए DM को प्रस्ताव तैयार कर भेजने को कहा है, ताकि उसे अनुमोदन के लिए भारत सरकार को भेजा जा सके।
वहीं पत्र में कहा गया है कि यदि दोनों राज्यों के गांवों को एक-दूसरे को स्थानांतरित कर दिया जाए तो आवागमन की यह परेशानी दूर हो जाएगी।
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