लखनऊ। कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश दृढ़ संकल्पित है। डॉ.ए.के.चौधरी, राज्य कार्यक्रम अधिकारी, फाइलेरिया उत्तर प्रदेश ने जानकारी दी कि प्रदेश में 11 से 31 अक्टूबर 2024 तक चलने वाले “दस्तक अभियान” के तहत सक्रिय रूप से कालाजार के संभावित मरीजों की पहचान की जायेगी ।
डॉ. चौधरी ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है जोकि बालू मक्खी के माध्यम से फैलता है। यह बालू मक्खी कालाजार रोग के परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है। बालू मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों- जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों, जानवर बंधने के स्थान तथा नम मिट्टी में रहती है।
यूं बढ़ जाती है संक्रमण की संभावना
कालाजार एंडेमिक जनपदों आजमगढ़, बलिया, बलरामपुर, बुलंदशहर, कुशीनगर, देवरिया, गाजीपुर, वाराणसी, भदोही, गोरखपुर, जौनपुर, सीतापुर, मऊ, गोंडा, बहराइच, महाराजगंज एवं खीरी में यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो तो उसे कालाजार हो सकता है। कालाजार उत्पन्न करने वाले परजीवी के संक्रमण से रोगी के शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है जिसके कारण उसे दूसरे रोगों से संक्रमित होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
उन्होंने यह भी बताया कि कालाजार उन्मूलन की वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं; 1) शीघ्र निदान और उपचार 2) कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि (आई.आर.एस)।आई.आर.एस. एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर साइपरमेथ्रीन नामक दवा का छिड़काव किया जाता है ताकि, कालाजार बीमारी का कारण बनने वाली बालू मक्खी को नष्ट किया जा सके।
उपलब्ध है नि:शुल्क जाँच की सुविधा
कीटनाशक का छिड़काव बालू मक्खी की संख्या को कम करता है। कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाले सतह पर रह जायेगी और उसे कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और उत्तर प्रदेश सरकार की रणनीति के तहत आशा प्रतिदिन 50 से 100 घरों का भ्रमण करती है।
और यह पता लगाती है कि किसी भी व्यक्ति को 15 दिनों से ज्यादा बुखार तो नहीं आ रहा है। क्योंकि अगर ऐसा है तो उस व्यक्ति को कालाजार होने की संभावना हो सकती है। कालाजार से संक्रमित व्यक्ति की नि:शुल्क जाँच की सुविधा उपरोक्त जनपदों के ब्लाक स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) पर उपलब्ध है, और इसका इलाज उपरोक्त जनपदों के जिला अस्पताल एवम निकटतम मेडिकल कॉलेज में निशुल्क उपलब्ध है।
निगरानी और उपचार की गतिविधियाँ तेज
प्रदेश में वर्ष 2023 में कालाजार के कुल 14 सक्रिय मामले पाए गए थे, जबकि इस वर्ष अब तक 10 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इन सभी मामलों का समय पर इलाज सुनिश्चित किया गया है। प्रदेश में 4 जनपदों देवरिया, बलिया, कुशीनगर और गाजीपुर को कालाजार के लिए उच्च जोखिम श्रेणी में रखा गया है, जहाँ पर विशेष अभियान के तहत निगरानी और उपचार की गतिविधियाँ तेज की जा रही हैं।
लोगों को किया जा रहा जागरूक
दस्तक अभियान के दौरान, स्वास्थ्य विभाग की टीमें जमीनी स्तर पर व्यापक सर्वेक्षण कर रही हैं। इस दौरान घरों में घर-घर जाकर संभावित रोगियों की स्क्रीनिंग की जायेगी। राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि किसी भी नए मामले का तुरंत पता लगाया जाए और कालाजार से प्रभावित सभी मरीजों का जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जाए।
टीमें पूरी तरह से तैयार
दस्तक अभियान में कालाजार के सक्रिय मामलों की पहचान करने के लिए हमारी टीमें पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कालाजार संक्रमण को रोकने के लिए, सभी प्रभावित क्षेत्रों में कीटनाशक छिड़काव, स्वच्छता उपाय, और लोगों को जागरूक करने की गतिविधियाँ निरंतर जारी रहेंगी।
डॉ. चौधरी ने बताया कि यह अभियान जनजागरूकता और समुदाय की सहभागिता पर भी विशेष जोर दे रहा है, ताकि लोग शुरुआती लक्षणों को पहचान सकें और समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि कालाजार के मामलों को जड़ से समाप्त करने के लिए, समुदाय की भागीदारी और लोगों की जागरूकता सबसे महत्वपूर्ण हैं।
रोगियों की पहचान और त्वरित उपचार
डॉ. चौधरी ने कालाजार से प्रभावित सभी जनपदों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से कहा कि वे अपनी-अपनी टीमों को निर्देशित करें कि घर-घर जाकर कालाजार के संभावित रोगियों की पहचान और त्वरित उपचार को सुनिश्चित करें। प्रदेश में कालाजार कालाजार एंडेमिक जनपदों में सक्रिय निगरानी और कीटनाशक छिड़काव सुनिश्चित किया जा रहा है। कालाजार पर प्रदेश की स्थिति: 2020: 55 मामले दर्ज ,2021: 52 मामले दर्ज , 2022: 24 मामले दर्ज, 2023: 14 मामले दर्ज, 2024 (अब तक):10 मामले दर्ज हैं।
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