- वैश्विक स्तर पर हमारी संस्कृति की पहचानः प्रो. वंदना सिंह
- संस्कृति संरक्षण,संवर्धन,प्रदर्शन,दस्तावेजीकरण पर कार्यशाला शुरू
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के कल्चरल क्लब एवं वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की ओर से पांच दिवसीय कार्यशाला सोमवार को शुरू हुई। यह कार्यशाला संस्कृति विभाग उप्र.के सहयोग से हो रही है। जिसमें संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन, प्रदर्शन, दस्तावेजीकरण पर विचार विमर्श किया जाएगा।
उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उप्र. राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी को संस्कृति के संरक्षण के लिए जागरूक करने की जरूरत है। इसके महत्व को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज सोशल मीडिया के माध्यम से हम कई पुरातन संस्कृति से परिचित हो रहे हैं। साथ ही गौरव महसूस कर रहे हैं। बतौर मुख्य वक्ता मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. राम मोहन पाठक ने कहा कि संस्कार संस्कृति पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि
वर्तमान समय में विज्ञान और संस्कृति का समन्वय जरूरी है, इसे संवाद के माध्यम से समाज से जोड़ने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन में सुगमता संस्कृति के माध्यम से ही लाया जा सकता है।
संस्कृति हमारे रग-रग में
कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि हमारी संस्कृति को वैश्विक स्तर पर लोग अपना रहे हैं। इसमें तन-मन को भी स्वस्थ रखने की व्यवस्था योग के माध्यम से है। उन्होंने कहा कि आज समय बहुत तेजी से बदल रहा है, इस बदलाव में हमारी भारतीय संस्कृति ही हमें सही मार्ग दिखा सकती है। मूल सरयू नदी बचाओ आंदोलन के संयोजक पवन कुमार सिंह ने कहा कि संस्कृति हमारे रग-रग में बसी है। लोक संस्कृति ने जातियों के बिखराव को रोककर उनको सम्मान दिया है। उन्होंने विवाह में कोहबर प्रथा पर विस्तार से चर्चा की। कहा कि हमारे देश में नदियों को देवी ग्राम देवता के रूप में देवी, काली के साथ दैत्यों को भी पूजा जाता है। आज हमें संस्कृति से जड़ों को क्षरण से बचाने की जरूरत है।
इसे भी पढ़ें…