मुंबई, पुणे। उभरते बाज़ारों की अग्रणी कंपनी गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) ने सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई-पाथ) और फैमिली हेल्थ इंडिया (एफएच इंडिया) के साथ मलेरिया उन्मूलन और डेंगू, चिकनगुनिया की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम में सरकार का समर्थन करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के साथ समझौता किया है। लॉन्च के मौके पर जीसीपीएल की सीएसआर पहल द्वारा समर्थित दो एजेंसियों, सीएचआरआई-पाथ और एफएच इंडिया की तकनीकी सहायता के ज़रिये महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को समर्थन की शुरुआत हुई।
आदिवासी क्षेत्रों में सहयोग
मलेरिया और अन्य वेक्टर जनित बीमारियां, महाराष्ट्र में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या हैं। महाराष्ट्र श्रेणी 2 का राज्य है, जहां अधिकांश जिलों में वार्षिक परजीवी सूचकांक (एपीआई) प्रति 1,000 जनसंख्या पर 1 से कम जोखिम वाले मामले आते हैं, लेकिन कुछ जिले ऐसे हैं जो 1 या उससे अधिक के एपीआई वाले मामले सामने आते हैं। ऐसा ही एक जिला, गढ़चिरौली का आदिवासी बहुल, पूर्वी वन जिला है। कार्यक्रम का प्राथमिक फोकस है, मलेरिया को खत्म करना, जिसमें गढ़चिरौली जिले पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके अलावा, कार्यक्रम का उद्देश्य है, ठाणे-पालघर जिले पर ध्यान केंद्रित करते हुए डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि को नियंत्रित करना।
स्वास्थ्यकर्मी नियुक्त होंगे
इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, इस सहायता कार्यक्रम के तहत तीन राज्य-स्तरीय विशेषज्ञ और 24 जिला-स्तरीय स्वास्थ्यकर्मी नियुक्त होंगे। ये लोग मानव और कीट विज्ञान निगरानी को मज़बूत करने, मामले की रिपोर्टिंग बढ़ाने और इन बीमारियों के नैदानिक प्रबंधन में सुधार करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के डॉ. अंबाडेकर (अतिरिक्त निदेशक स्वास्थ्य)/डॉ. सरनीकर (संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य) ने की और इसमें सुश्री अहोना घोष (महाप्रबंधक, सस्टेनेबिलिटी गुड एंड ग्रीन, जीसीपीएल), डॉ. सपकल (क्षेत्रीय निदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण), डॉ. कमलापुरकर (सहायक निदेशक स्वास्थ्य), डॉ. जगताप (राज्य कीटविज्ञानी), डॉ. सचिन गुप्ते (निदेशक, पीएटीएच), डॉ. राउट्रे (निदेशक पीएटीएच), डॉ. अमरेश कुमार (उप निदेशक पीएटीएच), डॉ. बिस्वाल (तकनीकी सलाहकार, पीएटीएच), डॉ बित्रा जॉर्ज (निदेशक, फैमिली हेल्थ इंडिया), सोम कुमार शर्मा (एसोसिएट डायरेक्टर, फैमिली हेल्थ इंडिया) आदि ने भाग लिया।
वेक्टर जनित बीमारियां
कार्यक्रम में मलेरिया को खत्म करने और डेंगू और चिकनगुनिया को नियंत्रित करने के मिशन में शामिल सभी पक्षों की सामूहिक प्रतिबद्धता और एकजुटता पर जोर दिया गया। महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के डॉ. सरनीकर (संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य) ने कहा, “मलेरिया, डेंगू और अन्य वेक्टर जनित बीमारियां महाराष्ट्र में एक बड़ी चिंता का विषय हैं, खासकर गढ़चिरौली, चंद्रपुर और ठाणे-पालघर जैसे जिलों में। जलवायु परिवर्तन के कारण ठंडे क्षेत्रों में भी ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। डेंगू के प्रकार घातक हो सकते हैं
हमें आवश्यक प्रौद्योगिकी और रोकथाम के तरीकों में निवेश करने की ज़रूरत है। हमें कोविड-19 से सीखना चाहिए और किसी भी वेक्टर जनित बीमारी के प्रकोप से निपटने के लिए हर तरह से तैयार रहना चाहिए। हम मलेरिया को खत्म करने के अपने उद्देश्य में मदद करने के लिए गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, सीएचआरआई-पाथ और एफएचआई टीमों के साथ सहयोग कर खुशी हो रही है।
महाराष्ट्र सरकार की प्रतिबद्धता
गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड और एसोसिएट कंपनियों में सीएसआर और सस्टेनेबिलिटी की प्रमुख गायत्री दिवेचा ने कहा, “हम 2016 से मलेरिया और अन्य वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रमों में निवेश कर रहे हैं और उच्च जोखिम वाले तीन करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंच चुके हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हमारे इसी तरह के निवेश ने उन राज्यों को श्रेणी 1 सूचकांक में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस दौरान हमने सबसे बड़ी चीज़ यह सीखी है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं, गहरी जड़ें जमा चुकी हैं और बड़े पैमाने पर प्रणालीगत परिवर्तन और नवोन्मेष की ज़रूरत है। इस सफलता को दोहराने के लिए, राज्य के स्वास्थ्य विभागों, जिला कलेक्टरों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और लोगों के साथ विभिन्न सरकारी संस्थाओं के साथ साझेदारी आवश्यक है। हम इसे संभव बनाने और 2030 तक भारत में मलेरिया को खत्म करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र सरकार की प्रतिबद्धता, समर्पण और रणनीतिक दृष्टि के आभारी हैं।
तकनीकी सहायता इकाइयां
संक्रामक रोगों के निदेशक डॉ. सत्यब्रत राउतराय ने कहा, “भारत में पाथ के एक सहयोगी के रूप में सीएचआरआई (सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन), एम-एनटीडी (मलेरिया और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग) सहित राष्ट्रीय कार्यक्रमों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों के क्रियान्वयन में कई राज्य सरकारों का समर्थन कर रहा है। इस परियोजना के तहत सीएचआरआई, जीसीपीएल सीएसआर पहल की वित्त पोषण सहायता के साथ राष्ट्रीय स्तर और महाराष्ट्र में टीएसयू (तकनीकी सहायता इकाइयां) स्थापित करेगा, जो मुख्य रूप से डेंगू-चिकनगुनिया और मलेरिया को प्राथमिकता देते हुए वेक्टर जनित बीमारियों के उन्मूलन और नियंत्रण के लिए विशिष्ट तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों के साथ-साथ अनियंत्रित शहरीकरण और अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों के कारण, वेक्टर गतिशीलता और वेक्टर-घनत्व तेजी से बदल रहा है और इसके साथ डेंगू-चिकनगुनिया के प्रकोप का संभावित नकारात्मक असर भी आता है। यह अपने साथ विभिन्न किस्म के खतरे लाता है। बीमारी और मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रकोप की जांच और प्रतिक्रिया के साथ-साथ आईवीएम (एकीकृत वेक्टर प्रबंधन) के संबंध में विशिष्ट हस्तक्षेप की ज़रूरत है। इससे देश में डेंगू-चिकनगुनिया नियंत्रण और मलेरिया उन्मूलन लिहाज़ से राज्य की प्रगति में तेज़ी आएगी।
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