झांसी। ढाई साल पहले एक युवक ने आवेश में आकर अपनी पत्नी की हत्या कर की थी, इस अपराध का मुख्य गवाह उसका पांच साल का बेटा था। कोर्ट में बेटे ने अपनी मां के हत्यारे पिता के खिलाफ गवाही दी, इससे आरोपी को कोर्ट ने 10 साल के कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इसमें से 25 हजार रुपए बेटे को दिए जाएंगे। जुर्माना अदा नहीं करने पर एक साल की अतिरिक्त जेल काटनी होगी। यह आदेश न्यायालय संख्या-2 के अपर सत्र न्यायाधीश विजय कुमार वर्मा ने मंगलवार को सुनाया है।
शादी को हो गए थे 12 साल
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र पांचाल ने बताया कि अंदर सैंयर गेट निवासी शकुंतला देवी ने नवाबाद थाना में तहरीर दी थी। इसमें बताया था कि मेरी बेटी पूनम कुशवाहा की शादी 12 साल पहले करगुवांजी गांव के राकेश कुशवाहा उर्फ बब्लू से हुई थी। शादी के बाद दामाद बेटी के साथ मारपीट कर जान से मारने की धमकी देता था।6 फरवरी 2020 को छोटी बेटी चांदनी ने फोन कर बताया कि ससुराल में पूनम की मौत हो गई। तब मैं परिजनों के साथ पूनम के ससुराल पहुंची। वहां पूनम पलंग पर मृत पड़ी थी। उसके शरीर पर चोट के निशान थे।
बेटे ने बताया मां को पापा ने मारा
मायके वालों के पूछने पर मृतका पूनम के 5 साल के बेटे ने बताया कि मां को पापा ने मारापीटा है। राकेश पर आरोप था कि मारपीट कर मुंह और नाक को हाथों से दबाकर पत्नी की हत्या की है। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया था।वारदात का बेटा ही इकलौता चश्मदीद था। पुलिस ने उसको गवाह बनाते हुए पहले 164 के तहत कोर्ट में गवाही कराई थी। बाद में उसने कोर्ट में दोबारा गवाही दी। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने राकेश कुशवाहा को IPC की धारा 304 के खंड-2 (गैर इरादतन हत्या) का दोषी करार देते हुए 10 साल के कारावास की सजा सुनाई।
कोर्ट ने बच्चे की गवाही को दी तरजीह
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र पांचाल ने बताया कि बच्चे ने दो बार कोर्ट में गवाही दी। पहली घटना के बाद 164 के बयान में और दूसरी बार ट्रायल के दौरान। अभियुक्त के वकील ने कहा कि बाल गवाह बेटे के बयान में विरोधाभास है।इस पर कोर्ट ने कहा कि गवाह के साक्ष्य में उपरोक्त विरोधाभास स्वाभाविक है। वह घटना के समय मात्र 5 साल का था। मम्मी पापा के बीच लड़ाई झगड़ा और मारपीट को देख-सुनकर उसके द्वारा डर जाना, डर में खुद को सोता हुआ दिखाना स्वाभाविक है। गवाह के साक्ष्य में थोड़ा बहुत विरोधाभास होना स्वाभाविक है। इससे साक्षी की विश्वसनीयता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
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