नईदिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जो दाव चला उससे विपक्ष को काफी झटका लगा है। गुजरात की भाजपा सरकार ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरह समान नागरिक संहिता का दांव चला है। गुजरात सरकार के मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड की तर्ज पर समान नागरिक संहिता के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया है।
गुजरात सरकार की इस घोषणा से चुनाव में उसके बीजेपी के पक्ष में माहौल बन सकता है, सरकार की इस घोषणा से बसपा प्रमुख मायावती और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल दोनों भाजपा की नीयत पर सवाल कर खड़ा किया है। बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में समान नागरिक संहिता बनाने और उसे लागू करने की घोषणा की थी। सरकार गठन के बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक में उन्होंने समान नागरिक संहिता के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला किया।
विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति अब सुझाव आमंत्रित कर रही है। समिति ने तीन लाख से अधिक सुझाव प्राप्त कर लिए हैं और इसके बाद वह इन सुझावों पर अपनी रिपोर्ट तैयार करने का काम करेगी।
उत्तराखंड के बाद गुजरात दूसरा भाजपा शासित राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया है। सियासी जानकारों का मानना है कि सत्तारूढ़ भाजपा उत्तराखंड की तरह गुजरात में भी समान नागरिक संहिता के दांव से चुनावी फायदा लेना चाहती है। जानकारों का दावा है कि मतदान से ठीक पहले सीएम धामी का यह दांव भाजपा के लिए फायदेमंद रहा। यही वजह है कि सत्ता की कमान हाथों में आने के बाद सीएम धामी ने सबसे पहले समान नागरिक संहिता के लिए विशेष समिति बनाने का फैसला किया।
भड़के केजरीवाल, बोले- उनकी नीयत खराब
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से समान नागरिकता संहिता को लेकर सवाल पूछा गया तो वह भड़क गए। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बिना कहा कि उनकी नीयत में खोट है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में साफ-साफ लिखा है कि समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में सरकार को इसे लागू करना चाहिए। वहीं, इसे ऐसा बनाना चाहिए, जिसमें सभी समुदायों की रजामंदी हो, लेकिन उनकी नीयत में खोट है।
मायावती बोलीं यह बीजेपी का चुनावी दांव
बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को ट्वीट कर पहली बार समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बयान दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यूपी में अन्य राज्यों में भी रोजगार वह विकास की बजाय भाजपा द्वारा विवादित एवं विभाजनकारी मुद्दों की तरह समान नागरिक संहिता को चुनावी मुद्दा बनाना खास नहीं किंतु गुजरात में इसको चुनावी मुद्दा बनाने से इस चर्चा को बल मिलता है कि वहां भाजपा की हालत वास्तव में ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले पर कोई निर्णय अभी न किया जाए क्योंकि इसे वह 22वें लॉ कमीशन को सौंपेंगे। बावजूद इसके गुजरात विधानसभा चुनाव में ऐसा क्या होने जा रहा है जिससे भाजपा उम्मीद विचलित होकर झुक रही है। मायावती ने कहा कि चुनाव को प्रभावित करने के लिए जनता की नजर से अज्ञात स्रोतों से प्राप्त धन का इस्तेमाल कितना उचित है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि गुजरात और हिमाचल विधानसभा आम चुनाव से पहले चुनावी बांड की गुप्त फंडिंग के जरिए 545 करोड़ रुपए दिए गए हैं। यह धन कहां जा रहा है।
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