*पहितियापुर मीडिल स्कूल बंद होने पर सातवें दिन भी आन्दोलन जारी
02 जुलाई 2025 / बदलापुर, जौनपुर, उत्तर प्रदेश। नये शिक्षण सत्र की पहले दिन क्लास शुरू होने के पहले ग्रामीणों ने स्कूल को रंग बिरंगे गुब्बारों से सजाया और बच्चों का स्वागत किया। इसके बाद बच्चों ने प्रार्थना के समय, ईश्वर से प्रार्थना करने के बजाय सरकार से स्कूल न बंद करने की प्रार्थना किया और सरकार की सद्बुद्धि की कामना किया।
दूसरे दिन 2 जुलाई को भी सरकारी स्कूल बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने स्कूल में जाकर बच्चों की क्लास चलाई। उनहोंने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि, उत्तर प्रदेश में 5000 सरकारी स्कूलों को बंद व मर्ज करने का सरकारी आदेश व “पूर्व माध्यमिक विद्यालय पहितियापुर” को बंद करना घोर सरकार का घोर जन विरोधी कदम है। लोगों ने कहा कि, स्कूल न बंद करने की लगातार मांग करते हुए महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी जौनपुर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व उपजिलाधिकारी बदलापुर को ज्ञापन सौंपा जा चुका है। ईमेल व फैक्स भी किया गया। लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग गरीब व असहाय अभिभावकों व बच्चों के हितों को अनदेखी करते हुए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। सरकार कम बच्चों का हवाला देकर स्कूल बंद कर रही है, लेकिन कम शिक्षक होने पर मौन है। कोई नयी भर्ती नहीं की जा रही है। जहां, शिक्षा के निजीकरण व व्यापारीकरण पर रोक लगाने की जरूरत है, वहीं सरकारी स्कूल बंद करके शराब के ठेके खोलने के लिए सरकार कटिबद्ध है। जबकि सरकार द्वारा “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा दिया जा रहा है और विश्वगुरु बनने की बात की जा रही है। सवाल है कि, 3 किलोमीटर दूर स्कूल में छोटे-छोटे गरीब बच्चे-बच्चियां कैसे पढ़ने जा पायेंगी ?
भौगोलिक दृष्टि से भी पहितियापुर गांव के दक्षिण व पूर्व दिशा में पीली नदी व जंगल है। उत्तर-पश्चिम दिशा में हाईवे व रेल लाईन मार्ग है। एक तरफ दुर्गम व कठिन रास्ते और दूसरी तरफ यातायात की भीड़ बच्चों के लिए खतरनाक है। ऐसी स्थिति में गांव का स्कूल सिंगरामऊ में मर्ज होने पर अब बच्चों की पढ़ाई छूट रही है जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
इस विषय परिस्थिति में विवश होकर गांव के पढ़े लिखे नौजवानों ने गांव के स्कूल में ही हर दिन बच्चों की पढ़ाई जारी रखने की जिम्मेदारी उठाई है। इस तरह, सरकार जनता की शिक्षा की जिम्मेदारी से मुकर रही है और नई शिक्षा नीति 2020 व क्लोजर-मर्जर नीति के तहत निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही है और सरकारी स्कूलों को बदतर बना रही है।
जबकि, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 45, राज्य के नीति निदेशक तत्वों का हिस्सा है, और यह बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा से संबंधित है। विशेष रूप से, यह 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करने के लिए राज्य को निर्देश देता है। राज्य के नीति निदेशक तत्व सरकार के लिए दिशानिर्देश हैं कि उन्हें सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को कैसे लागू करना चाहिए। अनुच्छेद 45 को 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा संशोधित किया गया था, जिसने शिक्षा को एक मौलिक अधिकार भी बना दिया। 86वें संशोधन के बाद, शिक्षा का अधिकार अधिनियम- 2009, अनुच्छेद 21A को लागू करता है, जो 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाता है। अधिनियम में यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक बच्चे को अपने घर के पास एक स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार हो। लेकिन इन नियमों पर भी सरकार अमल नहीं कर रही है।
इस अवसर पर पहितियापुर गांव के ग्रामवासी व अभिभावकगण “स्कूल बचाओ संघर्ष समिति” के बैनर तले सरकार से मांग किया कि- पूर्व माध्यमिक विद्यालय पहितियापुर, विकास खण्ड बदलापुर को बंद करके किसी दूसरे स्कूल में मर्ज न किया जाए तथा विद्यालय का संचालन सुचारु रूप से जारी रखा जाए।
इस अवसर पर शिशिर कुमार दूबे, अशोक कुमार खरवार, मनीष मिश्र, संजय यादव, दिलीप कुमार, संदीप यादव, रामसिंगार दूबे, संतोष कुमार प्रजापति, राहुल गुप्त, राजकुमार मौर्य, रवि कुमार दूबे, ऐश्वर्य दूबे, गौरव दूबे, रबीश यादव, विनय दूबे, घनश्याम दूबे, शिशिर, सिद्धार्थ कुमार सहित कई लोग बच्चों के साथ मौजूद रहे।