इस्राइल लेबनान की तरह ईरान की भी पहली पंक्ति को बनाया निशाना,दिए गहरे जख्म

Like Lebanon, Israel targeted Iran's front line too, inflicting deep wounds

ईरान ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर वार्ता से भी इन्कार कर दिया है।

तेल अवीव। परमाणु हथियार को लेकर इस्राइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है, दोनों एक-दूसरे पर मिसाइल और अन्य घातक ​हथियारों से हमला कर रहे है। पहले चरण में ईरान को गहरा जख्म लगा, उसके सुरक्षा प्रमुख समेत चार बड़े वैज्ञानिकों की मौत के साथ ही बड़ी संख्या में सि​विल लोग मारे गए है। अब ईरान ने सैकड़ों बैलेस्टिक मिसाइलें इस्राइल पर दागी हैं। इसके साथ ही उसने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर वार्ता से भी इन्कार कर दिया है।

लेबनान की तहर वार कर रहा इस्राइल

इस्राइल का ईरान पर ताजा हमला पहले किए गए हमलों की तुलना में ज्यादा व्यापक था। इस्राइल ने यहां ठीक वहीं रणनीति अपनाई जो पिछले साल लेबनान में हिजबुल्ला के खिलाफ इस्तेमाल की थी। इस्राइल ने सिर्फ मिसाइल ठिकानों पर ही हमले नहीं किए बल्कि ईरान की जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता को भी नुकसान पहुंचाया। ईरानी नेतृत्व के अहम सदस्यों को भी निशाना बनाया गया। हिजबुल्ला के खिलाफ भी इस्राइल ने यही रणनीति बनाई और उसके अहम सदस्यों को मार गिराया।

पहले ही तैनात कर दिए हथियार

इस्राइल ने हमलों से पहले गोपनीय ढंग से ईरान में हथियार भेज दिए थे।इस्राइली अधिकारियों ने बताया, देश की जासूसी एजेंसी (मोसाद) ने शुक्रवार के हमलों से पहले ईरान में हथियारों को तस्करी करके अंदर तक पहुंचा दिया था। इस मिशन को अति गोपनीय रखा गया। अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि इन हथियारों में ड्रोन और विस्फोटक हथियार शामिल थे, जिन्हें लॉन्चिंग के लिए एक बेस पर स्थापित किया गया और शुक्रवार के हमले के दौरान तेहरान के पास एक ईरानी बेस पर मिसाइल लॉन्चरों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन सक्रिय कर दिए गए। उन्होंने कहा, इस्राइल ने मध्य ईरान में सटीक हथियारों की तस्करी भी की थी और उन्हें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों के पास तैनात किया। उसने वाहनों पर स्ट्राइक सिस्टम भी तैनात किए।

ईरान की सुरक्षा को बनाया निशाना

ईरान की सुरक्षा को निशाना बनाने के लिए हमले शुरू होते ही दोनों को एक साथ सक्रिय कर दिया गया। पश्चिम एशिया में ईरान-इस्राइल तनाव भड़कने की शुरुआत गाजा पर हमले के साथ हो चुकी थी। यूरेनियम संवर्धन को लेकर अमेरिका भी उसके खिलाफ था। ऐसे में इस्राइल से संकेत मिलने के बाद अमेरिका ने पश्चिम एशिया से एक दिन पहले ही अपने अनावश्यक कर्मियों को वापस बुला लिया। शुक्रवार को इस्राइल ने ईरानी मुख्य परमाणु संवर्धन केंद्र को निशाना बनाकर बड़े हमले किए। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस्राइल इतनी आसानी से ईरानी परमाणु ठिकाने नष्ट नहीं कर पाएगा। दरअसल, ईरानी एटमी कार्यक्रम को दो ठिकाने नतांज और फोर्डो पहाड़ों तथा गहरी चट्टानों के नीचे बनाए गए हैं, जो इन्हें बाहरी हमलों से सुरक्षित बनाते हैं।

नतांज में जमीन के नीचे बंकरों में कई मीटर मोटी कंक्रीट और चट्टानों की परतों के साथ केंद्र को सुरक्षित किया गया है। जबकि फोर्डो एटमी केंद्र पहाड़ को काटकर प्राकृतिक व कृत्रिम किलेबंदी के साथ घेरकर बनाया गया है। इनकती भौगोलिक स्थिति और मजबूत संरचना के चलते इन्हें पारंपरिक हथियारों से नष्ट करना आसान नहीं है।

इस्राइल में भोजन-पानी का भंडारण शुरू

इस्राइल में लोगों ने ईरान की जवाबी कार्रवाई को देखते हुए भोजन-पानी का भंडारण शुरू कर दिया है। विभिन्न माध्यमों से आई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि यरूशलम के सुपरमार्केट में सामान तेजी से खाली हो रहा है। देश में आपात सेवा के लिए रक्त भी जमा किया जा रहा है। अस्पताल में भर्ती घर जाने योग्य रोगियों को छुट्टी दी जा रही है। वेस्ट बैंक के सभी फलस्तीनी शहरों में लॉकडाउन लगा दिया गया है।

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