नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने शोषण विहीन समाज कायम करने का सपना देखा था

Netaji Subhash Chandra Bose

 लखनऊ। देश के आजादी आंदोलन के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 128वीं जयंती के अवसर पर दारूलशफा स्थित जनता दल –  एस के प्रदेश कार्यालय पर स्मृति सभा का आयोजन हुआ। तत्पश्चात  जनता दल –  एस के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार सिंह के नेतृत्व में सुभाष चौक स्थित नेताजी की प्रतिमा स्थल पर हुये कार्यक्रम में भाग लिया और तत्पश्चात उदयगंज में फारवर्ड ब्लॉक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।

 स्मृति सभा को संबोधित करते हुए जनता दल –  एस के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार सिंह ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सपने को पूरा करने के लिए देश के छात्र नौजवानों को आगे आना होगा। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा था- करोड़ों भारतवासियों के हक में खड़े होकर उनकी मुक्ति की राह पर खुद को कुर्बान कर जाऊंगा, अगर सत्य की कोई कीमत है तो मेरे देशवासी समझेंगे मेरे दिल की बात। क्या इस देश के लोग सचमुच उनके दिल की बात समझ पाए हैं ?

सच्चाई की कीमत चुका पाए हैं ? नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने जिस पूंजीवाद साम्राज्यवाद का विरोध करके देश में शोषण विहीन समाज कायम करने का सपना देखा था आज हम उससे कहीं बहुत दूर हैं। रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा व सम्मान जैसी मूलभूत जरूरतों से महरूम होकर करोड़ों लोग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। जिन छोटे-छोटे नौनिहाल बच्चों को स्कूल जाने, खेलने – कूदने व सीखने और एक अच्छा इंसान बनने के लिए मौका मिलना चाहिए, आज उन्हीं छोटी उम्र के बच्चों को ईंट के भट्टों पर, होटलों, ढाबों और कारखाने में काम करते हुए देखा जाता है।

शोषण विहीन समाज

वक्ताओं ने कहा कि देश की इन विकट परिस्थितियों में नेताजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हमें क्या करने को कहती है ? नेताजी ने कहा था – बचपन में अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ना ही मैं अपना परम कर्तव्य समझता था, बाद में गंभीरता से सोचने पर मैंने समझा कि अंग्रेजों को भगा देने से ही हमारे कर्तव्यों की इतिश्री नहीं हो जाती। एक नई सामाजिक व्यवस्था कायम करने के लिए हिंदुस्तान में एक और क्रांति की जरूरत है। कार्यक्रम में अमित बोस, बच्चू सिंह, अमोद श्रीवास्तव, बच्चू सिंह, डियर खान, शिवकुमार सिंह , अमोद श्रीवास्तव, शैलेंद्र सिंह, दीपक पांडे, विनोद यादव, डी. एन. पाठक, अशोक पाठक, बाबूराम पाठक, फूलचंद, सुभाष यादव, पंचम लाल, बाबूराम पाठक, मूलचंद, के के शुक्ला, योगेंद्र उपाध्याय, उदय सिंह, विजय श्रीवास्तव, ओ पी तिवारी, एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी, राजेश, सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।

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