जिस पूंजी का उत्पादन श्रमिक करता है वह पूंजी उन श्रमिकों के जीवन को सुगम बनाने में लगनी चाहिए, लेकिन उसका जीवन स्तर गिरता चला जा रहा है इसके पीछे पूंजीवादी व्यवस्था है : कॉमरेड द्वारिकानाथ रथ

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लेनिन का मेहनतकश वर्ग की मुक्ति में योगदान और आज उनकी प्रासंगिकता पर चर्चा का आयोजन

11 फरवरी 2024, प्रयागराज । सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) इलाहाबाद जिला इकाई की ओर से महान लेनिन की स्मृति शताब्दी के अवसर पर “महान लेनिन का मेहनतकश वर्ग की मुक्ति में योगदान और आज उनकी प्रासंगिकता” विषय पर विचार गोष्ठी हुई जिसे बतौर मुख्यवक्ता कॉमरेड द्वारिकानाथ रथ,(केंद्रीय कमेटी के सदस्य) ने संबोधित किया। परिचर्चा की अध्यक्षता कॉमरेड एन0एल0गुप्त ने किया और संचालन कॉमरेड राजवेन्द्र सिंह ने किया।

    बतौर मुख्यवक्ता बोलते हुए कॉमरेड द्वारिका नाथ रथ ने मार्क्स के द्वंदात्मक भौतिकवाद के आधार पर मानव इतिहास के विश्लेषण की चर्चा करते हुए इतिहास में पहली बार रूस देश मे मजदूरों के राज की स्थापना को सफल करनेवाले महान लेनिन के मानव सभ्यता के विकास में विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान को रेखांकित करते हुए बताया कि किस तरह समाजवादी व्यवस्था में ही एक व्यक्ति के द्वारा व्यक्ति का शोषण का खात्मा हो सकता है और लेनिन ने रूस में करके दिखाया। महिलाओं की शोषण से मुक्ति और जातीय धार्मिक शोषण का खात्मा भी समाजवाद की स्थापना करके हो सकता है। लेनिन के अप्रैल थीसिस की चर्चा करते हुए कामरेड रथ ने बताया की फ़रवरी 1917 में रूस में जारशाही खत्म होने के बाद लेनिन ने समाजवादी क्रांति के लिए आह्वाहन किया और बताया कि क्रांति का सवाल मुख्यतः राजसत्ता का सवाल है और बुर्जुआ वर्ग को सत्ता से उखाड़ कर उसके अधूरे कार्यभार को मजदूर वर्ग को पूरा करना होगा। उन्होंने साम्राज्यवादी शोषण का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से नए दौर में पूंजी दूसरे देशों में जाकर शोषण करती है। उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध में फासीवाद के पराजय के लिए  समाजवादी रूस के लाखों नागरिकों की कुर्बानियों का जिक्र किया। लेनिन  के छात्र जीवन की घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने हमारे देश के छात्रों के आज़ादी आंदोलन में शामिल होने और कुर्बानियों की तुलना करते हुए लेनिन के बड़े भाई को फांसी की सजा ने लेनिन को गहरे रूप में प्रभावित किया। समाजवादी व्यवस्था में चहुमुखी विकास का जिक्र करते हुए कॉमरेड रथ ने बताया कि शोषण विहीन समाज बनाने के लिए समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के संघर्ष को मजबूत करना होगा। रूस की समाजवादी व्यवस्था के बारे में रवींद्र नाथ टैगोर, भगतसिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और प्रेमचंद आदि पर लेनिन के विचारों के प्रभाव पर की चर्चा की। उन्होंने लेनिन के जीवन संघर्षों से हमें सीख लेकर मजदूरों के पैरों में जो बेड़िया डाली गई है उन्हें तोड़ना होगा, जिस पूंजी का उत्पादन श्रमिक करता है वह पूंजी उन श्रमिकों के जीवन को सुगम बनाने में लगनी चाहिए, लेकिन उसका जीवन स्तर गिरता चला जा रहा है इसके पीछे पूंजीवादी व्यवस्था है, इस पूंजीवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा और समाजवादी व्यवस्था को स्थापित करना होगा।
कार्यक्रम में गवर्नमेंट प्रेस इम्प्लॉइज यूनियन के अध्यक्ष अजय भारती, नागरिक समाज के संयोजक विनोद तिवारी, सिटीजन ब्रदर हूड के ऋषीश्वर उपाध्याय,  हरिओम गुप्त,घनश्याम मौर्य, लवली, सुनैना, लता शर्मा, राजकुमार, रमाकांत शर्मा, नसीम, जे पी रॉव, राजेश श्रीवास्तव,  सतपाल सिंह, संदीप, राजीव कुमार, प्रमोद गुप्ता, बुद्ध प्रकाश, राकेश यादव, नितेश, कुबेर यादव, हृदयेश यादव, हरेंद्र राम, विनोद कुमार, काशान सिद्दीक़ी, शमशुल इस्लाम, रियाजुद्दीन, पीकेसिंह बिसेन,   विकास, संजय राय, हरिओम गुप्ता, डी0 दास आदि अनेक साथी मौजूद रहे। कार्यक्रम का  समापन अंतराष्ट्रीय गान के साथ हुआ।

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