लखनऊ: ‘पेड़ लगाएं ऐसा !
झिलमिल तारों जैसा !!’ यह बाल गीत/ बाल कविता किसकी है ? कई यूट्यूब चैनल पर इसकी धूम है । अध्यापक प्रशिक्षण एवं बाल मनोरंजन हेतु इसका प्रयोग हो रहा है। यह कक्षा 3 और कक्षा 4 में पढ़ाई भी जा रही है। निपुण भारत मिशन एवं अंकुर मिशन में भी चल रही है। कविता लिखने वाले कवि का कहीं कोई जिक्र नहीं है। यह कवि और कविता दोनों के साथ नाइंसाफी है । खैर…. आइए मैं परिचय करवाता हूं, इस बाल गीत के कवि से ।
कवि का परिचय
‘पेड़ लगाएं ऐसा’ बाल कविता रामनरेश ‘उज्ज्वल’ ने लिखी है । ये सीधे सरल स्वभाव के मालिक हैं। इनका जन्म लखनऊ के मुंशी खेड़ा गांव में हुआ है । बचपन में कुछ समय ये अपने ननिहाल निलमथा में भी रहे । जहां इनकी देख भाल नाना नानी एवं मामा मामी करते थे। इनके पिता राम नरायन पाल , जो उस समय खड़खड़ा चलाने का काम करते थे, बाद में परचून की दुकान करने लगे। इनकी माता का नाम शान्ती देवी उर्फ सिताला है । इन्होंने नर्सरी से कक्षा 2 तक की पढ़ाई अपने ननिहाल के किंडरगार्डन पब्लिक स्कूल, निलमथा, लखनऊ में की। कक्षा 4 से 5 तक प्राथमिक विद्यालय बेहसा में पढ़ाई की, जो उस समय मुंशी खेड़ा गांव में ही स्थित था।
इन्होंने कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई श्री सतगुरु स्वामी आदर्श विद्यालय, मुंशी खेड़ा में की। कक्षा 9 की पढ़ाई बी. एन.लाल वोकेशनल इंटर कॉलेज, सिंगार नगर, लखनऊ से उत्तीर्ण की। हाई स्कूल की पढ़ाई प्राइवेट फार्म भर कर जनता इंटर कॉलेज, आलमबाग से की। जनता इंटर कॉलेज से ही इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। स्नातक की शिक्षा बप्पा श्री नारायण डिग्री कॉलेज, चारबाग़, लखनऊ से प्राप्त की। हिंदी से परास्नातक की शिक्षा लखनऊ विश्व विद्यलय से प्राप्त की। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्व विद्यालय, कानपुर से बी. एड. की शिक्षा प्राप्त की । राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय इलाहाबाद से एक विषय संस्कृत से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की ।
‘उज्ज्वल’ की रचनाएं
‘चोट्टा'(राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0द्वारा पुरस्कृत), ‘अपाहिज़'(भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत) ‘घुँघरू बोला’ (राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0 द्वारा पुरस्कृत), ‘ , ‘ठिगनू की मूँछ’ , ‘बिरजू की मुस्कान’, ‘बिश्वास के बंधन’ , ‘जनसंख्या एवं पर्यावरण’ राम नरेश ‘उज्ज्वल’ की चर्चित एवं प्रकाशित कृतियां हैं । ‘हांकू बाबा’ इनका लिखा हास्य प्रधान बाल उपन्यास है, जो बाल साहित्य जगत में बहुत चर्चित हुआ।
यह उपन्यास जाकिर अली रजनीश द्वारा संपादित ‘ग्यारह बाल उपन्यास’ के संग्रह में संग्रहीत है । उज्ज्वल को बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा गंगा अधिकारी स्मृति बाल कहानी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में इनकी हजारों रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं । आकाशवाणी लखनऊ से भी समय-समय पर उज्ज्वल की रचनाओं का प्रसारण होता रहता है ।
‘पेड़ लगाएं ऐसा’ यह कविता 12 मई 2000 में ‘दैनिक भास्कर’ में भी प्रकाशित हो चुकी है । आइए बाल कविता ‘पेड़ लगाएं ऐसा’ का अवलोकन करें:
पेड़ लगाएँ ऐसा
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पेड़ लगाएँ ऐसा।
झिलमिल तारों जैसा।।
बिस्किट के हों पत्ते जिसमें,
टाफी के ही फल हों,
चुइंगम जैसा गोंद भी निकले,
शकरकन्द-सी जड़ हो,
डाल पकड़ कर अगर हिलाएँ,
टप-टप बरसे पैसा।
पेड़ लगाएँ ऐसा।।
डाल तोड़ कर दूध निकालें,
फिर पूरा पी जाएँ,
मक्खन, बर्फी, दही जमा के,
हम बच्चे मिल खाएँ,
रात अँधेरे में चमके जो
लगे सितारों जैसा।
पेड़ लगाएँ ऐसा।।
कवि की अपील
कवि के अनुसार उपर्युक्त बाल गीत गाएं-बजाएं, शिक्षण कार्य में, गतिविधियों में प्रयोग करें । गीत के साथ कवि का नाम अवश्य लिखें। कवि का उद्देश्य भी यही होता है कि उनकी रचनाएं समाज के उन्नयन में सहयोग करें।
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