लखनऊ। समाजवादी पार्टी द्वारा वंदना मिश्र को लखनऊ के महापौर का प्रत्याशी बनाना उन सभी के लिए खुशी का सबब है जो मौजूदा राजनीति को लेकर निराश व हताश हैं। वंदना जी नाउम्मीदी के इस दौर में उम्मीद की किरण हैं। डीएम मिश्र अपनी ग़ज़ल में कहते हैं ‘लंबी है सियाहरात जानता हूं मैं/उम्मीद की किरण मगर तलाशता हूं मैं’। यह झूठ, लूट, हिंसा, उन्माद, नफरत, दमन व आतंक से भरा समय है। राजनीति का चरित्र बदल चुका है। वह सेवा नहीं मेवा पाने का माध्यम बन गया है। लूट मची है। नेता कुर्सी की लड़ाई तक सिमट गए हैं। ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार है। अंधेरे का घटाटोप है। कुछ सुझता नहीं है। ऐसे में वंदना मिश्र का मेयर का प्रत्याशी बनना अवश्य उन लोगों को राहत देने वाला है जो इसे अंधेरे में घिरे हैं और बाहर आना चाहते हैं।
हम वंदना मिश्र को कितना जानते हैं? वे अखिलेश मिश्र जैसी शख्सियत की बेटी हैं। अखिलेश मिश्र जी देश के पत्रकारों में अग्रणी रहे हैं। उन्होंने कलम को जनता और समाज की आवाज बना दिया। उन्हीं से वंदना जी को सामाजिक संस्कार मिला। प्रोफेसर रमेश दीक्षित जिनकी पहचान जन बुद्धिजीवी की है, वे जीवन साथी हैं। और स्वयं वंदना जी कवि, पत्रकार, साहित्यकार, बुद्धिजीवी, सामाजिक सेवी, जन कार्यकर्ता और मानव अधिकारवादी हैं। उन्होंने अनेक अखबारों का संपादन किया है। बहुत सी संस्थाओं और संगठनों से जुड़ी हैं। लखनऊ अपनी तहजीब के लिए मशहूर है। यह गंगा जमुना के मिलन से बनती है। यह साझी संस्कृति है। इस साझी विरासत को वंदना जी थामे हुए हैं। यह साझापन उनके व्यक्तित्व में छल छलाते हुए मिलता है। तुलसी, कबीर, मीरा, नानक उनके दिलों में बसते हैं तो नागर, भगवती चरण वर्मा व यशपाल धड़कते हैं।
वंदना मिश्र को लोकतंत्र से बेहद प्यार है। आम आदमी के जीवन व अधिकारों और स्त्री स्वतंत्रता पर जब कहीं चोट पड़ती है, हम उन्हें उसके विरुद्ध खड़ा पाते हैं, सड़कों पर जूझते और लड़ते हुए पाते हैं। उनके प्रेरणा स्रोत गांधी, नेहरू, अंबेडकर, लोहिया, भगत सिंह जैसे नेता-विचारक हैं। वह कहती भी हैं कि प्रथम नागरिक (महापौर) की नजर शहर के आखिरी पायदान के नागरिक पर होनी चाहिए जो हाशिए पर है, उपेक्षित और अवहेलित है। ऐसी हैं वंदना मिश्र। इसीलिए कहता हूं कि वह सिर्फ समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी नहीं हैं। वे उन सभी लोगों की प्रत्याशी हैं जिन्हें लोकतंत्र से प्यार है। इस देश की माटी और जनता से मोहब्बत है। जो इस अंधेरे से बाहर निकलना चाहते हैं, राजनीति और समाज में बदलाव चाहते हैं। बदलाव की लड़ाई वहीं से शुरू होती है, जहां हम होते हैं। हम लखनऊ में हैं। तहज़ीब के शहर से यह वंदना मिश्र के नेतृत्व में शुरू हो चुकी है। आइए लखनऊ को नया लखनऊ बनाएं। हम वंदना मिश्र के साथ चलें, सहयात्री-सहयोद्धा बने। वंदना मिश्र को विजयी बना बदलाव के संघर्ष को मंजिल तक पहुंचाएं।
वंदना मिश्र का चुनाव प्रचार अभियान जारी है। उनके समर्थन में हजरतगंज स्थित सी. बी. सिंह सभागार में लखनऊ शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं व जनसंगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। अध्यक्षता वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व साहित्यकार एम. के. सिंह ने की तथा संचालन एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी ने किया। बैठक में चुनाव प्रचार व मुद्दों पर बातचीत कर रणनीति बनाई गई। यह तय किया गया कि बूथ लेवल से विभिन्न सिविल सोसाइटी संयुक्त रूप से काम करेंगी। सिविल सोसाइटियां समाजवादी पार्टी के बूथ स्तर पर लगातार समन्वय व सम्पर्क बनाकर काम भी करेंगी।
इस अवसर पर साहित्यकार रामकिशोर, कौशल किशोर, वरिष्ठ कवि भगवान स्वरूप कटियार, ट्रेड यूनियन नेता के. के. शुक्ला, ओ. पी. सिन्हा, सोशल एक्टविस्ट मो. खालिद, पुतुल, आलोक, वीरेंद्र सान्याल, एस. एन. मिश्रा, ओम प्रकाश तिवारी, महावीर सिंह, यूएन उपाध्याय, राजीव, सन्तोष कुमार, ज्योति राय, सी एम शुक्ला, जे के जैन, उदयवीर यादव, आमा मुख्तालिक, संजय खान, जय प्रकाश, संजय कुमार, अनिल सिंह सहित अन्य लोग शामिल हुए।
वक्ताओं का कहना था कि लखनऊ के लिए यह बहुत खुशी की बात है कि हमारी साथी वंदना मिश्रा लखनऊ की मेयर के लिए सपा पार्टी से प्रत्याशी हैं । आज के सांप्रदायिक और नफ़रत के माहौल में जब लोकतंत्र, संविधान, धर्मनिरपेक्षता और हमारी साझी विरासत ख़तरे में है तो भाजपा जैसी फासिस्ट ताकतों को हराना हर जनवादी और धर्मनिरपेक्ष सोच रखने वालों के लिए एक चुनौती है । हमसब लखनऊ वासियों और संगठनों को मिलकर वंदना जी के पक्ष में मुहिम चलानी होगी ।
चुनाव प्रचार अभियान को तेज करने के लिए कल 21 अप्रैल दिन शुक्रवार को शाम 4 बजे जनवादी महिला एसोसिएशन (एडवा) कार्यालय 10, विधानसभा मार्ग में बैठक का आयोजन किया गया है।
– कौशल किशोर