मुबाडला की स्टडी से पता चला कि कैसे जलवायु परिवर्तन भारत में लोगों के कल्याण के लिए है खतरा

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Mubadla's study shows how climate change threatens the well-being of people in India
जलवायु परिवर्तन से बचाव की दिशा में अर्थव्यवस्था को लो-कार्बन बनाने के प्रयासों को सबसे ज्यादा जरूरी माना गया।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। दुनियाभर के निवेशक जटिल होती अंतरराष्ट्रीय निवेश परिस्थिति को अनुभव कर रहे हैं और अपनी पूंजी को एक पर्यावरण के अनुकूल (सस्टेनेबल) भविष्य के निर्माण के लिए लगा रहे हैं। इसे देखते हुए मुबाडला इन्वेंस्टमेंट कंपनी (मुबाडला) ने ब्लूमबर्ग मीडिया के साथ मिलकर मेगाट्रेंड्स स्टडी जारी की है, जिसमें यह दिखाया गया है कि कैसे जलवायु परिवर्तन भारत एवं विश्व के लिए खतरा बढ़ा रहा है और डिजिटल टेक्नोलॉजी बेहतर भविष्य के निर्माण की दिशा में काम कर रही है।

उपभोक्ताओं के सर्वे पर आधारित

भारत, यूएई, यूके, यूएस, चीन और फ्रांस के 1,800 से ज्यादा वैश्विक निवेशकों, जानकार युवाओं व नई पीढ़ी के उपभोक्ताओं के सर्वे पर आधारित इस अध्ययन में पाया गया कि स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं कारोबार को प्रभावित करते हुए पूरे विश्व के कल्याण के लिए जलवायु परिवर्तन अन्य सभी मेगाट्रेंड्स से ज्यादा बड़े खतरे के रूप में सामने आया है। फ्रांस (52 प्रतिशत), यूके (50 प्रतिशत), यूएई (41 प्रतिशत) और भारत (39 प्रतिशत) में प्रतिभागियों ने इस बात से सहमति जताई कि जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा है। अमेरिका (29 प्रतिशत) और चीन (27 प्रतिशत) में लोगों ने जलवायु परिवर्तन को लगभग जनसांख्यिकीय बदलाव एवं असमानता जितना ही बड़ा खतरा बताया।

लो-कार्बन बनाने के प्रयास

जलवायु परिवर्तन से बचाव की दिशा में अर्थव्यवस्था को लो-कार्बन बनाने के प्रयासों को सबसे ज्यादा जरूरी माना गया। भारत एवं यूएई में क्रमश: 92 और 93 प्रतिशत लोगों ने ऐसा माना।सभी के लिए पर्यावरण के अनुकूल (सस्टेनेबल) भविष्य निर्माण की दिशा में अध्ययन में पाया गया कि डिजिटल टेक्नोलॉजी ऐसा मेगाट्रेंड है, जो दुनिया का कल्याण सुनिश्चित करने में सक्षम है। भारत में 34 प्रतिशत, अमेरिका में 34 प्रतिशत, चीन में 32 प्रतिशत और यूएई में 31 प्रतिशत लोगों ने ऐसा माना।

भविष्य निर्माण की दिशा में प्रयास

अध्ययन में कंपनियों द्वारा भविष्य निर्माण की दिशा में प्रयासों की भी स्वीकार्यता दिखी। भारत में 95 प्रतिशत और यूएई में 91 प्रतिशत ने ऐसा माना। इनके बाद अमेरिका (85 प्रतिशत), फ्रांस (84 प्रतिशत), यूके (84 प्रतिशत) और चीन (81 प्रतिशत) का स्थान रहा।मुबाडला के चीफ स्ट्रेटजी एंड रिस्क ऑफिसर अहमद सईद अल कलीली ने कहा, ‘जिम्मेदार निवेशक के रूप में मुबाडला अपनी निवेश रणनीति को दुनिया में बदलते ट्रेंड के अनुरूप रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हम एनर्जी ट्रांजिशन, ट्रेडिशनल एवं डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, लाइफ साइंस और टेक्नोलॉजी में निवेश कर रहे हैं, जिससे लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़े और सतत भविष्य के निर्माण में योगदान मिले।’

यूएन की 75वीं वर्षगांठ

मेगाट्रेंड्स स्टडी को यूएन की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर यूएन इकोनॉमिस्ट नेटवर्क द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के बाद लॉन्च किया गया है। उस रिपोर्ट में पांच मेगाट्रेंड्स: जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय बदलाव व आबादी की बढ़ती उम्र, शहरीकरण, डिजिटल टेक्नोलॉजी और असमानता पर फोकस किया गया है। यूएन इकोनॉमिस्ट नेटवर्क के अनुसार, ये मेगाट्रेंड्स मनुष्य की गतिविधियों का परिणाम हैं और इसलिए मनुष्य के फैसलों एवं नीतियों के चुनाव से इनमें बदलाव संभव है।

किफायती डिजिटल सर्विस

हाल के वर्षों में मुबाडला ने इन ट्रेंड्स को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप कई सौदे पूरे किए हैं। 2020 में कंपनी ने जियो प्लेटफॉर्म्स में 1.2 अरब डॉलर का निवेश किया था। यह नेक्स्ट जनरेशन टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म है, जो पूरे भारत में उच्च गुणवत्ता वाली एवं किफायती डिजिटल सर्विस प्रदान करने पर फोकस करता है। उसी साल मुबाडला ने भारत के सबसे तेजी से बढ़ते और फायदे में चल रहे रिटेल बिजनेस रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड में 6,247.5 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इसके देशभर में करीब 12,000 स्टोर हैं।

अप्रैल, 2022 में मुबाडला ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के भारत के प्रयासों को समर्थन देते हुए टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (टीपीआरईएल) में ब्लैकरॉक रियल एस्टेट की 4,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। टाटा रिन्यूएबल का लक्ष्य 2030 तक अपने एनर्जी पोर्टफोलियो के माध्यम से 6 प्रतिशत या 30 गीगावाट के योगदान का लक्ष्य है। भारत के एनर्जी मिक्स में कोयले को स्थानांतरित करते हुए इसका लक्ष्य सालाना करीब 9 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम करना है।

अर्थव्यवस्था को डीकार्बनाइज करने की तैयारी

मुबाडला में रियल एस्टेट एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट्स के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर खालिद अल कुबैसी ने कहा, ‘भारत में अपने पोर्टफोलियो को विस्तार देना हमारी रणनीति का अहम स्तंभ है, क्योंकि इस समय जलवायु परिवर्तन एवं टेक्नोलॉजी जैसे मेगाट्रेंड्स के कारण निवेश के अनूठे अवसर बन रहे हैं। वर्तमान समय में चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। यहां अर्थव्यवस्था को डीकार्बनाइज करने के लिए 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 100 गीगावाट से 500 गीगावाट तक पहुंचाने की महत्वाकांक्षा दिखती है। भारत के लंबी अवधि के साझेदार के रूप में मुबाडला में हम देश को इसकी महत्वाकांक्षाओं में सहयोग करते हैं और हमने महत्वपूर्ण ऊर्जा परियोजनाओं व इनोवेटिव क्लीन टेक्नोलॉजी में उल्लेखनीय निवेश किया है, जिनसे ऊर्जा तक पहुंच बेहतर हुई है, डिजिटल विकास सक्षम हुआ है और सामाजिक-आर्थिक प्रगति सुनिश्चित हुई है।’

मेगाट्रेंड्स स्टडी के महत्वपूर्ण निष्कर्ष

प्रतिभागी इस बात से सहमत दिखे कि असमानता से अर्थव्यवस्था, समाज और राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव पड़ता है
प्रतिभागियों ने माना कि शहरीकरण के व्यापक आर्थिक एवं सामाजिक फायदे व नुकसान हैं जीवन की गुणवत्ता पर जनसांख्यिकीय बदलाव के प्रभाव को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया रही। भारत और यूएई में जहां क्रमश: 93 और 91 प्रतिशत लोगों ने ऐसा माना, वहीं फ्रांस और यूके में ऐसा मानने वाले क्रमश: 82 और 79 प्रतिशत रहे

मुबाडला पिछले 15 साल से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश कर रही है। इसकी शुरुआत मसदर की स्थापना के साथ हुई थी, जो छह महाद्वीपों में 35 से ज्यादा देशों में सक्रिय है। इनमें 2 गीगावाट क्षमता वाले यूएई स्थित दुनिया के सबसे बड़े सिंगल-साइट सोलर प्लांट से लेकर इंडोनेशिया का पहला तैरता सोलर प्लांट तक शामिल है, जो 50,000 घरों को पर्याप्त बिजली आपूर्ति कर सकेगा। 2022 के आखिर में अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) और अबू धाबी नेशनल एनर्जी कंपनी पीजेएससी (टीएक्यूए) के साथ मुबाडला की हालिया साझेदारी का लक्ष्य मसदर की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 100 गीगावाट तक पहुंचाते हुए इसे वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा का पावरहाउस बनाना है।

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