अपनों के ठुकरायों को सरकार के घर में भी नहीं मिल रही सही देखभाल, चार की मौत

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People's rejections are not getting proper care even in the government's house, four died
सिविल अस्पताल में भर्ती एक बच्चे की हालत गंभीर बनी हुई है।

लखनऊ। अपनों द्वारा ठुकराए गए बच्चों के जीवन यापन के लिए सरकार द्वारा राजधानी में प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह बनाया गया है। यहां पर मासूमों को रखकर परवरिश की जाती हैं, लेकिन यहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से यहां लाए गए बच्चों की लगातार मौत हो रही है। एक माह के अंदर ही चार बच्चों की मौत हो गई हैं,साथ ही कई की हालत नाजुक बताई जा रही हैं।मंगलवार को इलाज के दौरान एक और बच्ची ने दम तोड़ दिया। वहीं, सिविल अस्पताल में भर्ती एक बच्चे की हालत गंभीर बनी हुई है।

सीएमओ की टीम ने किया निरीक्षण

बालगृह की जांच के लिए पहुंची सीएमओ की टीम का दावा है कि मासूमों को ठंड से बचाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए थे। दिसंबर-जनवरी में उचित देखभाल न होने से बच्चे ठंड की चपेट में आ गए और उन्हें निमोनिया हो गया। सिविल अस्पताल प्रशासन का भी कहना है कि बच्चे गंभीर हालत में लाए गए थे। डीपीओ विकास सिंह ने पोस्टमार्टम करवाने के साथ मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया है। इसके साथ ही बालगृह अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तत्काल रिपोर्ट मांगी गई है। बालगृह की व्यवस्थाओं की निगरानी के लिए दिनेश रावत को प्रभारी बनाया गया है। मामले में बालगृह प्रबंधन का कहना है कि बच्चियां गंभीर हालत में शिशुगृह लाई गई थीं।

दांवा बीमार ही लाए गए थे बच्चे

बालगृह अधीक्षक किंशकु त्रिपाठी और डॉ. सुदर्शन ने बताया कि दिसंबर में जब अंतरा को लाया गया था, तब वह 10-15 दिन की थी। उसकी मौत 10 फरवरी को हुई। इससे पहले वह 19 से 28 जनवरी तक भर्ती थी। डिस्चार्ज होकर आने के बाद तबीयत बिगड़ने पर उसे फिर भर्ती कराया गया था। वहीं, दिसंबर में बालगृह लाई गई करीब 15 दिन की लक्ष्मी की तभी से तबीयत खराब चल रही थी। इस बीच उसका इलाज होता रहा। 23 जनवरी को दोबारा बुखार आने पर सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। 11 फरवरी को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

अस्पताल में भर्ती कराया गया

इसी प्रकार आयुषी भी दिसंबर में लाई गई थी, तब वह 16 दिन की थी। वजन कम होने पर उसे केजीएमयू और सिविल अस्पताल में दिखाया गया। आठ फरवरी की सुबह डॉक्टर को फिर उसकी जांच की। रात को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। 12 फरवरी को उसने दम तोड़ दिया। इसी तरह दिसंबर में जब दीपा लाई गई, तब वह 20 दिन की थी। उसे निमोनिया था। इस बीच थैलीसीमिया होने का भी पता चला। कई बार उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। 23 जनवरी को बुखार आने के बाद भी एडमिट कराया गया। मंगलवार को उसकी भी मौत हो गई। वहीं, चार-पांच दिन पहले आए डेढ़ महीने के बच्चे की बोनमैरो जांच करवाई गई है। उसकी प्लेटलेट्स लगातार कम हो रही है। फिलहाल वह सिविल अस्पताल में भर्ती है।

डीपीओ ने मांगा जवाब

लगातार बच्चों की मौत होने पर डीपीओ ने बालगृह अधीक्षक किंशुक त्रिपाठी को कारण बताओ नोटिस जारी जवाब मांगा गया है। मजिस्ट्रेटी जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं। डीपीओ ने कहा कि इलाज के स्तर पर बालगृह से लापरवाही नहीं हुई है। बच्चों के बीमार होने पर उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाकर इलाज करवाया गया। हालांकि, बच्चे क्यों नहीं बच पा रहे हैं, यह तो डॉक्टर ही बता सकेंगे। फिर भी बाल गृह में किस स्तर पर लापरवाही हुई है, इसकी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होगी।

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