कानपुर। यूपी के कानपुर के फजलगंज के गड़रियनपुरवा स्थित साइकिल की गद्दी बनाने वाली एसके इंडस्ट्रीज में शुक्रवार तड़के शॉर्ट सर्किट लगी आग की वजह से दम घुटने से तीन मजदूरों की मौत हो गई, जबकि तीन लोग बेहोश हो गए। सूचना पर मौके पर पहुंची दमकल की आठ गाड़ियों ने दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। वहीं फैक्टरी के प्रथम तल पर फंसे पांच कर्मचारियों ने पड़ोस की छत के रास्ते भाग कर अपनी जान बचाई। बेसुध हुए दो कर्मचारियों को हलट के आईसीयू में भर्ती कराया गया है, एक डिस्चार्ज हो गया। शास्त्रीनगर निवासी दीपक कटारिया की गड़रियनपुरवा में एसके इंडस्ट्रीज के नाम से फैक्टरी है। फैक्टरी में साइकिल की सीट और पैडल बनाने का काम होता है। शुक्रवार तड़के फैक्टरी में नौ कर्मचारी काम कर रहे थे।
यह हुए हादसे का शिकार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दम घुटने से शिवराजपुर के छतरपुर निवासी प्रदीप कुमार (24), सचेंडी के कैथा निवासी नारेंद्र सोनी (40) और उन्नाव के बारासगवर निवासी जय प्रकाश परिहार (50) की मौत हो गई। शास्त्रीनगर निवासी अमन, काकादेव निवासी गौरव और मनोज धुएं से बेहोश हो गए और झुलस भी गए। इधर आग की लपटें उठती देख प्रथम तल पर मौजूद कर्मचारी दिनेश, मिथुन, बउआ, सूरज और दिन्नू पड़ोसी के मकान की छत पर कूदकर भागे।
दस मिनट में पहुंची दमकल
आग लगने की सूचना फायर कंट्रोल रूम और फैक्टरी मालिक को दी। दस मिनट में पहुंची दमकल ने आग में फंसे बेहोश हो चुके तीन मजदूरों को रेस्क्यू कर बाहर निकाल उन्हें हैंलट में भर्ती कराया, जहां गौरव और अमन को आईसीयू में भर्ती कराया गया है। आठ गाड़ियों ने तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।अग्निकांड में जान गवांने वाले तीन मजदूर हादसे के वक्त मशीन के पास सो रहे थे। जिसके चलते उन्हें शार्ट सर्किट का पता नहीं चल सका। दरअसल रात में जाड़े की वजह से भी उन तीनों को आग की गर्माहट का अंदाजा ही नहीं लग पाया। देखते ही देखते धुआं पूरे फ्लोर में फैल गया। इसी जहरीले धुएं की चपेट में आने से तीनों की जान चली गई।
फैक्ट्री में भर गया धुआं
पीड़ितों ने बताया कि फैक्टरी में इस कदर धुआं भर गया कि उसमें सांस ले पाना किसी के लिए मुमकिन नहीं था। यहीं वजह है कि जो बाकी लोग जाग रहे थे, उनका वहां पर रहकर सांस लेना मुश्किल हो गया, जिससे अपनी जान बचाने के लिए वे भागने को मजबूर हो गए। इस घबराहट में उन्हें अपने तीनों सोए हुए साथियों को जगाने का खयाल ही नहीं आया। जब तक उन्हें यह खयाल आता तब तक आग की लपटे और धुआं उन तीनों के फेफड़ों में घुसकर उनकी सांसें बंद कर चुका था। आग ने पूरी फैक्टरी को अपने घेरे में ले लिया था, यही वजह है कि उसे बुझाने में दमकल की आठ गाड़ियों को पूरे दो घंटे से ज्यादा समय तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
वहीं जब हादसे में तीन लोगों के मरने की सूचना उनके घर पर पहुंची तो कोहराम मच गया। पुलिस ने पीएम के बाद जब परिजों को अंतिम संस्कार के शव सौंपे तो वहां पर चीख पुकार मच गई। परिजनों ने रोते बिलखते अपनों को अंतिम विदाई दी।
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