लखनऊ। मिशन 2024 के लिए यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए, भूपेंद्र चौधरी ने शायद अपनी पहली तीन फेंक दी है। जिसका असर अब विधानसभा की कार्रवाई के दौरान देखने को मिल रहा है। धीरे-धीरे ही सही दोनों की राहे अब जुदा होती जा रही है। आपकों बता दें कि बागपत में 20 दिन पहले रालोद प्रदेश रामाशीष राय ने एलान किया था कि पार्टी निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ेगी।
चूंकि सपा व रालोद का गठबंधन है। ऐसे में रालोद के अकेले लड़ने की घोषणा से सियासी माहौल गरमा गया। इसके बाद माहौल को संभालते हुए अगले दिन रालोद ने स्पष्टीकरण दिया कि रामाशीष अपनी राय बता रहे थे। चुनाव की जिम्मेदारी के लिए चयन समिति गठित की गई है और इसकी रिपोर्ट वह आलाकमान को देगी। इसके बाद से सपा मुखिया अखिलेश यादव रालोद से अलग चलने की राह चुन ली है। शायद इसी लिए सोमवार को दोनों राहे अलग दिखने लगी।
सपा ने सड़क पर पैदल मार्च करते हुए विरोध प्रदर्शन किया तो रालोद विधायकों ने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया। ऐसे में दोनों पार्टियों के साथ न होने से एक बार फिर से गठबंधन में गांठ पड़ती नजर आ रही है।
मान मनोव्वल का दौर पर्दे के पीछे
सूत्रों के अनुसार कुछ नेता इसे भाजपा का फेंका पासा जानकर अभी पर्दे के पीछे से डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं, इसी का नतीजा रहा कि सोमवार को दोनों गठबंधन के प्रमुख खिलाड़ियों की राहे अलग-अलग दिखी। सपाइयों ने पहले एलान कर दिया था कि वे पैदल मार्च करते हुए विधानसभा पहुंचेंगे और विरोध दर्ज कराएंगे। उधर, रालोद विधायकों ने भी विधानभवन स्थित चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन करने की बात कही थी।
रालोद विधायकों ने चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर प्रदर्शन किया और सीधे सदन में पहुंचकर कार्यवाही में हिस्सा लिया। उनके इस प्रदर्शन में सपाई नहीं पहुंचे। इससे फिर यह चर्चा शुरू हो गई है कि दोनों की राहें अलग.अलग होती नजर आ रही है। गठबंधन में गांठ पड़ रही है।
हमें नहीं बुलाया गयाः बालियान
इस विषय में राजपाल बालियान, नेता विधायक दल रालोद का कहना है कि सपाइयों ने अपनी पदयात्रा में बुलाया ही नहीं, वर्ना हम जरूर जाते। हम चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर धरना देकर सीधे सदन में पहुंच गए। हालांकि इसके बाद भी हम अपनी तरफ से ही प्रदर्शन में जाना चाहते थे, पर इससे पहले ही सपाइयों ने प्रदर्शन खत्म कर दिया।
वहीं राजेंद्र चौधरी, पूर्व राष्ट्रीय सचिव सपा ने सफाई देते हुए कहा कि पदयात्रा का यह कार्यक्रम केवल सपा के ही विधायक और विधान परिषद सदस्यों का था। इसलिए इसमें अन्य किसी को नहीं बुलाया गया था। इन दोनों बयानों से स्पष्ट है कि पर्दे के पीछे जरूर कुछ न कुछ पक रहा है, तभी तो दोनों एक- दूसरे से अंजान बने हुए है।
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