लखनऊ। यूपी की राजनीति में अपने बयानों से सनसनी फैलाने वाले ओमप्रकाश राजभर अपने ही बुने जाल में फंसते जा रहे है। अब उनके अपने ही उनका साथ छोड़ते जा रहे है। अखिलेश यादव के इशारे पर अब उनके अपने उनका साथ छोड़ते जा रहे है। अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के सामने अपने साथियों को साथ रखना बड़ी चुनौती बनती जा रहीं है। पहले शशिप्रताप सिंह और अब मऊ में पुराने साथियों ने साथ छोड़ दिया है। एक-एक कर उनके संघर्ष के दिनों के साथी उनका साथ छोड़ते नजर आ रहे हैं। ये पुराने साथी वाराणसी और आजमगढ़ मंडल में उनकी राजनीतिक जमीन में सेंधमारी कर उन्हें कमजोर कर चुनौती खड़े कर सकते हैं।
अखिलेश चला रहे बदले की तीर
पार्टी की स्थापना के साथ ही ओमप्रकाश राजभर के साथ रहे वाराणसी के शशिप्रताप सिंह उपेक्षा से खिन्न होकर अब अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय समता पार्टी बना ली है। शशिप्रताप इस समय लगातार ओमप्रकाश राजभर पर तीखे शब्दों से हमला कर रहे हैं। उन्हें मुख्तार अंसारी का करीबी होने के आरोप लगाते हुए घेरा जा रहा है। शशिप्रताप की सक्रियता देख सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें बुलाकर साथ चलने की बात कही थी। वह वाराणसी और आसपास के जिलों में राजभर के पुराने लोगों को अपने साथ गोलबंद करने की कोशिश कर रहे हैं। शशि प्रताप की पीठ पर समाजवादी पार्टी मुखिया द्वारा हाथ रखने के अपने संकेत हैं। सुभासपा में अंदरखाने चर्चा है कि सपा ही सुभासपा को कमजोर करने की साजिश कर रही है। और ऐसे नेताओं को हवा दी जा रही है जो राजभर से किसी न किसी कारण से खिन्न बताए जाते हैं।
अपनों को मनाने की कवायद
इस बीच सुभासपा के एक जिम्मेदार नेता का कहना है कि जो लोग जा रहे हैं, वह लंबे समय से निष्क्रिय हैं। ये वह लोग हैं जो सिर्फ टिकट और सत्ता के लिए पार्टी में रहना चाहते थे। ऐसे नेताओं के जाने से पार्टी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पार्टी के बढ़ते जनाधार के कारण दूसरे दलों के तमाम नेता आए दिन पार्टी की सदस्यता ले रहे हैं। इन सब आरोपों से बेपरवाह ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि जो लोग नाराज़ हैं उनसे मिल बैठ कर बात की जाएगी, उनकी बात को सुना जाएगा और साथ रहने के लिए मनाया जाएगा।
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