नोएडा। भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी हुई इमारत को आज ठीक समय पर 9 की जगह आठ सेकेंड में जमींदोज कर दिया गया। लेकिन जितनी उम्मीद थी उससे ज्यादा दूर तक धूल के गुब्बार फैले जिससे होने वाले नुकसान का अभी आंकलन किया जाना बाकी है। आज दोपहर ढाई बजे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सेक्टर-93 स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर धमाके के बाद जमींदोज कर दिया गया। नोएडा-ग्रेटर नोएडा हाईवे 2ः42 पर आम लोगों के लिए खोल दिया गया। पानी का छिड़काव किया जा रहा है।
इस टावर को गिराने के लिए पूरे प्लान के साथ काम किया गया और टावर को गिराया गया। नोएडा पुलिस आयुक्त ने कहा कि पूरे प्लान के साथ काम किया गया और टावर को गिराया गया। सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम थे जिस कारण से सब कुछ सही से हुआ। हम अवशेष और बचे हुए विस्फोटकों का आकलन करने के लिए साइट पर जा रहे हैं यदि वे वहां छोड़े गए हैं। नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराने के बाद आस पास जमे धूल को स्थिर करने के लिए पानी को स्प्रे करने के लिए एंटी.स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्विन टावर्स के ध्वस्त होने के बाद आसपास धूल का गुबार फैला।
आस-पास की हाउसिंग सोसाइटियों को कोई नुकसान नहीं हुआ।नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने कहा कि आस-पास की हाउसिंग सोसाइटियों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। अभी कुछ मलबा सड़क की तरफ आया है। हमें एक घंटे में स्थिति का बेहतर अंदाजा हो जाएगा। नोएडा का ट्विन टावर आठ सेकंड में जमींदोज हो गयाए कई मीटर तक धूल का गुबार फैला हुआ है। एक्सप्रेस वे तक धुएं का गुबार पहुंच गया है।
7 हजार लोगों को वहां से हटाया गया
ब्लास्ट से पहले करीब 7 हजार लोगों को एक्सप्लोजन जोन से हटाया गया। ट्विन टावर गिरने में उतना ही वक्त लगाए जितना एक्सपर्ट्स ने बताया था। यानी करीब 12 सेकेंड में ही दोनों इमारतें ढह गईं। ट्विन टावर गिरने में उतना ही वक्त लगा, जितना एक्सपर्ट्स ने बताया था। यानी करीब 12 सेकेंड में ही दोनों इमारतें ढह गईं। टावर गिरने के बाद प्रशासन के क्लियरेंस तक 5 रास्तों पर ट्रैफिक की आवाजाही रुकी रहेगी।
यहां नोएडा पुलिस के 560 से ज्यादा जवान मुस्तैद हैं। इमरजेंसी के लिए एंबुलेंस भी तैनात की गई थी। ब्लास्ट के बाद इलाके में पॉल्यूशन लेवल मॉनिटर करने के लिए स्पेशल डस्ट मशीन लगाई गई हैं। ट्विन टावर को गिराने के लिए विस्फोट की जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया, उसकी खासियत यही रही कि आसपास की किसी इमारत को नुकसान नहीं पहुंचा। घनी आबादी के बीचोंबीच बने दोनों टावर अपनी जगह पर जमींदोज हो गए और केवल धूल का गुबार ही नजदीकी इमारतों तक पहुंचा।
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