लखनऊ: पुलिस अफसर की ईमानदारी का उठा रहे फायदा, कार्यालय में तैनात बाबू यूं खेल कर काट रहे मलाई

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एडीजी जोन कार्यालय में तैनात कई सिपाही काट रहें मलाई,पंद्रह बीस सालों से एक ही जगह जमे सिपाहियों के आगे नियम कानून बौना,कई सिपाही लग्जरी गाड़ियों से आते है। दफ्तर,राजधानी में जगह—जगह फैला है इनका कारोबार,पीड़ितों को न्याय की आड़ में कर रहें वसूली।

राजेश शुक्ला (लखनऊ)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पुलिस महकमे को काफी बेहतर सेवाएं दे रहे हैं इसके साथ-साथ जिले से लेकर एडीजी जोन तक में तैनात अफसर भी बेहतर कार्य कर रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे ईमानदार अफसर तैनात हैं जिनके अच्छाई व ईमानदारी का पूरा फायदा उनके मातहत उठा रहे है।

इसकी बानगी यदि देखी जाए तो एडीजी जोन की कार्यशैली के विषय में हमेशा आम जनता से लेकर पुलिस महकमे के अधिकारी तारीफ करते हैं लेकिन उनके कार्यालय में तैनात बाबू उनकी ईमानदारी का भरपूर फायदा उठा रहे हैं।

यूं होता है सारा खेल

सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि एडीजी जोन कार्यालय में तैनात सर्वेश बाबू, शिवप्रकाश पाण्डेय, विनोद बाबू का स्थानांतरण फैजाबाद हुआ था लेकिन उन्होंने अपनी सेटिंग बनाकर अपना स्थानांतरण रुकवाते हुए यही संबद्धता करा ली है वह लगभग 15 वर्षों से यहीं पर तैनात है ठीक इसी प्रकार पवन पांडे भी लगभग एक लंबे समय से यहीं पर तैनात है।

उनका भी 15 वर्ष से ऊपर कार्यकाल हो चुका है और तो और इस कार्यालय में कंट्रोल रूम से लेकर टेलीफोन ड्यूटी पर तैनात सिपाहियों ने पूरी अपनी नौकरी सर्विस काल यहीं पर काट दिया है और वह रहने वाले बख्शी तालाब के हैं वहीं पर खेती करते हैं साथ ही साथ ठेकेदारी भी करते हैं।

यही आलम कंट्रोल रूम का है वहां पर भी पंद्रह-बीस वर्षों से एक एक सिपाही तैनात है और अपना समय काट रहा है। साथ ही साथ राजधानी में रहकर उनकी गाड़ी व अन्य व्यवसाय भी फल-फूल रहे। कहा जाता है मिलीभगत के चलते इनके स्थानान्तरण के बाद केवल इनकी आमद और रवानगी ही दिखाई जाती है।

तैनाती के दौरान बनाई खूब संपत्ति

बताया जाता है कि यहां पर तैनात सिपाहियों के विषय में कुछ लोग दबी जुबान से यह कहते हैं कि सिपाही बख्शी तालाब से लग्जरी कार से कार्यालय में ड्यूटी करने आते हैं भले ही अफसर के पास कार हो या ना हो वह ईमानदारी के चलते सरकारी कार्य चल रहा है। ऐसे लोगों को जांच करते हुए उन्हें गैर जिले यदि स्थानांतरण हुआ है तो जाने देना चाहिए क्योंकि दूसरे सिपाहियों को भी जो भले और नेक ईमानदार हैं।

उन्हें अपनी पारिवारिक परिस्थितियों को देखते हुए ऐसे कार्यालयों में तैनाती मिलनी चाहिए। बताया जाता है कि बहुत से ऐसे सिपाही हैं जो ड्यूटी से ही छोटे जिलों को दिशा निर्देश देकर यदि उनका अपना कोई जानने वाला कोई व्यक्ति आता तो उसके लिए जिले के कप्तान को टेलीफोन से बता कर,

उसका लाभ के साथ-साथ अपना भी लाभ करा लेते हैं। उक्त लोगों ने यहां पर तैनाती के दौरान काफी संपत्ति व लग्जरी वाहन भी बनाएं।ऐसे लोगों की कार्यशैली पर सरकार को गंभीरता से जांच करते हुए पुलिस महकमे में तैनात अफसरों की और छवि को बेहतर बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।

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