नईदिल्ली। यूपी चुनाव से ठीक पहले यूपी के लखीमपुरखीरी में हुई हिंसा की घटना में आज सुप्रीम कोर्ट केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे को आशीष को तगड़ा झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी। शीर्ष कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत निरस्त करते हुए आशीष मिश्रा को एक सप्ताह में सरेंडर करने को कहा है। मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दी थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई थी जिसमें लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत देने के लिए प्राथमिकी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘अप्रासंगिक’ विवरण पर भरोसा किया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दलील दी थी कि हाईकोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट के साथ-साथ चार्जशीट को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने यह कहते हुए जमानत रद्द करने की मांग की थी कि आरोप गंभीर हैं और गवाहों को जान को खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में दिमागी कसरत का अभाव है।
तीन अक्टूबर को हुई थी घटना
वहीं आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश का बचाव करते हुए कहा था कि उनका मुवक्किल घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। उन्होंने कहा था कि अगर अदालत जमानत के लिए कोई शर्त जोड़ना चाहती है तो वह ऐसा कर सकती है, लेकिन कोर्ट ने कोई भी दलील सुनने से इन्कार कर दिया। मालूम हो कि यूपी में तीन अक्तूबर 2021 को किसान यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी की यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान चार किसान एक एसयूवी की चपेट में आगए थे,जिससे उनकी मौत हो गई थी, इसके बाद हिंसा में कई और लोगों की भी मौत हो गई थी।
लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में हुई उक्त हिंसा के मामले में एसआईटी ने तीन महीने के अंदर सीजेएम अदालत में तीन जनवरी को 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आशीष मिश्र को मुख्य आरोपी बनाते हुए 13 लोगों को मुल्जिम बताया था। इन सभी के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, अंग भंग की धाराओं समेत आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।
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