चंडीगढ़: निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर अड़े कर्मचारी, बिजली संकट बरकरार, बुलानी पड़ी सेना

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चंडीगढ़ में सोमवार रात से बिजली संकट जारी है। स्थिति ये है कि इनवर्टर और मोबाइल भी अब डिस्चार्ज हो चुके हैं, ऐसे में लोग परेशान हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बद् से बद्तर होते हालातों के बीच अस्पतालों ने ऑपरेशन टाल दिए हैं।

चंडीगढ़। निजिकरण के विरोध को लेकर कर्मचारियों की हड़ताल के साए में चंडीगढ़ अंधेरे में डूबा हुआ है। वहीं हड़ताली कर्मचारी अपनी मांग पर अड़े हुए है। इधर बिजली संकट बरकरार होने से लोगों को बुरा हाल है। इस सबके बीच हालात से निपटने को प्रशासन को सेना बुलानी पड़ी है।

दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चंडीगढ़ में सोमवार रात से बिजली संकट जारी है। स्थिति ये है कि इनवर्टर और मोबाइल भी अब डिस्चार्ज हो चुके हैं, ऐसे में लोग परेशान हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बद् से बद्तर होते हालातों के बीच अस्पतालों ने ऑपरेशन टाल दिए हैं।

कोर्ट ले समस्या का लिया संज्ञान

वहीं निजीकरण के विरोध में हड़ताल कर रहे कर्मचारी फाल्ट सुधारने को तैयार नहीं हैं। बताया गया कि ऐसे में हालात से निपटने के लिए प्रशासन को सेना बुलानी पड़ी। मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस समस्या का संज्ञान लिया और आज बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर को पेश होने के लिए कहा है।

बताया गया कि यदि हड़ताल जारी रही तो गुरूवार तक शहर में बिजली नहीं आएगी। बताया गया कि अब चंडीगढ़ के प्रशासक गवर्नर बीएल पुरोहित के एडवाइजर ने यूनियन नेताओं की मीटिंग बुला ली है। बताया गया कि कर्मचारियों की मांगों को लेकर बातचीत चल रही है। सहमति काफी हद तक बनती दिख रही है। बताया जा रहा है कि ऐसा हुआ तो बिजली संकट जल्द खत्म हो सकता है।

बिजली-पानी आदि की बढ़ी समस्या

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार शाम से चंडीगढ़ के हजारों घरों में बिजली-पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है और शहर के अधिकतर क्षेत्रों में ट्रैफिक लाइटें काम नहीं कर रही हैं। इससे ट्रैफिक व्यवस्था भी बिगड़ी हुई है। बताया गया कि बिजली कटौती के कारण ऑनलाइन कक्षाएं और कोचिंग संस्थान भी बंद हैं।

मोबाइल चार्ज न होने के कारण लोगों को भारी मुश्किल हो रही है। बताया गया कि प्रशासन ने मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (MES), वेस्टर्न कमांड, चंडी मंदिर से मदद मांगी है। जानकारी के मुताबिक पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से भी सहयोग मांगा जा रहा है। बताया गया कि इससे पहले हाईकोर्ट में प्रशासन ने कहा था कि पंजाब ने डेपुटेशन पर कर्मी भेजने में असमर्थता जताई थी।

निजीकरण के खिलाफ अड़े कर्मचारी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिजली विभाग के निजीकरण का बिजली कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। बताया गया कि केंद्र शासित प्रदेश के सलाहकार धर्मपाल ने बिजली कर्मचारी संघ के साथ बैठक कर हड़ताल खत्म करने के लिए राजी किया, मगर अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है।

बताया जा रहा है कि प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को डर है कि निजीकरण से उनकी सेवा शर्तों में बदलाव आएगा और बिजली दरों में बढ़ोतरी होगी। बताया गया कि कर्मचारियों की यूनियन अपनी मांग पर अडिग है। वह विभाग का निजीकरण नहीं चाहते। वहीं प्रशासन और कर्मचारियों की इस लड़ाई में नियमित रुप से बिजली के बिलों का भुगतान करने वाले शहरवासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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