इस देश की 73 फीसदी आबादी तनावग्रस्त, सर्वाधिक है सुसाइड रेट, लोग यूं कर रहे सुकून की तलाश

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दक्षिण कोरिआई समाज बेहद प्रतिस्पर्धी है। बताया गया कि यहां दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही बच्चों में सफल होने की चाबी स्कूली दिनों से भरी जाती है और यहां युवा पूंजीवादी सफलता को जारी रखना अपना कर्तव्य मानते है।

नई दिल्ली। कोरोना के लंबे दौर व काम के दबाव से दक्षिण कोरिया के लोग तंग आ चुके है। हालात यह है कि यहां की 73 फीसदी आबादी टेंशन में जीने को मजबूर है। सुकुन व शान्ति की तलाश में पैसा खर्च करने की प्रवृत्ति भी लगातार यहां बढ़ती जा रही है। इस प्रवृत्ति को ‘हिंटिंग मंग’ नाम दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लॉ फर्म में काम करने वाली 39 वर्षीय हान ये-जंग लंबी शिफ्ट के बाद सुकून की तलाश में हैं। उनके मुताबिक जीवन में तनाव बढ़ जा रहा है। मेरे साथी भी ऐसा महसूस कर रहे हैं। मैं कुछ दिन पहले पैदल जा रही थी और एक शख्स मुझसे टकरा गया।

पहले की स्थिति में दोनों माफी मांगते और अपने रास्ते पर चले जाते, लेकिन अब हर कोई इतने गुस्से में रहता है कि झगड़े शुरू हो जाते हैं।

यूं बढ़ रहे आपसी झगड़ें

बताया गया कि अब तो यह नाजारा आम हो गया है। कंपनियां संघर्ष कर रही हैं, दंपती तर्क-वितर्क कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पैसे की चिंता है। हर कोई निरााशा के सागर में डूबा हुआ हैै। बताया गया कि लोगों को निराशा के भंवर से निकालने के लिए ‘हिटिंग मंग’ कल्चर लोकप्रिय हो रहा है।

लोग परिवार के बिना सुकून वाली जगह तलाश रहे हैं। बताया गया कि इस दौरान पेन और नोटपैड के अलावा कुछ नहीं रखते। इसके तहत वादियों और समुद्र या नदी के किनारे स्थित कैफे में बैठकर प्रकृति को निहार रहे हैं। बताया गया कि इन जगहों पर सख्त चुप्पी का नियम है।

कई सिनेमाघरों ने 40 मिनट की ‘फ्लाइट’ मूवी दिखाई। यह कहकर चार्ज किया कि ‘बादलों के बीच थोड़ा आराम कीजिए।’ जेजू द्वीप पर एक प्रतियोगिता हुई, इसमें उसे विजेता घोषित किया गया, जिसकी हृदय गति सबसे धीमी चल रही थी। बताया गया कि गंगवोन प्रांत में हैप्पीटरी फाउंडेशन ने एक ‘जेल’ बनाई है,

जहां लोग कागज-कलम के साथ 48 घंटे रह सकते हैंं। इस संस्था की प्रवक्ता वू सुंग-हुन बताती हैं ‘यहां लोग खुद का सामना करने के लिए आते हैं, खुद से जरूरी प्रश्न पूछते हैं और सच्ची खुशी पाते हैंं। खबरों के मुताबिक बिना किसी व्यवधान के एकांत में रहने का अनुभव उन्हें भविष्य के लिए तैयार होने की शक्ति देता है।

यहां आत्महत्या की दर सर्वाधिक

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिण कोरिआई समाज बेहद प्रतिस्पर्धी है। बताया गया कि यहां दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही बच्चों में सफल होने की चाबी स्कूली दिनों से भरी जाती है और यहां युवा पूंजीवादी सफलता को जारी रखना अपना कर्तव्य मानते है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पूरी कवायद ने एक तनावग्रस्त समाज बना दिया हैै। महामारी ने इसमें वृद्धि की है। खबरों के अनुसार यहां एक सर्वे के मुताबिक 73 फीसदी आबादी खुद को तनावग्रस्त मानती हैं। औद्योगिक दुनिया में सुसाइड रेट के मामले में दक्षिण कोरिया शीर्ष पर बताया जाता है।

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