नई दिल्ली। आने वाले समय में महामारियां कोरोना से भी ज्यादा घातक हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह दावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने किया है। उनके मुताबिक कोरोना के बाद आने वाली महामारियां और भी ज्यादा खतरनाक हो सकती हैं।
गिल्बर्ट के मुताबिक कोरोना के दौरान हमनें जो गलतियां की हैं, उनसे हमें सबक लेकर भविष्य में बेहतर तैयारियों के साथ ऐसी महामारियों से लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। उनके मुताबिक दुनिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना के दरम्यान हर सबक को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए और अगले वायरस के लिए बेहतर तरीके से तैयार होना चाहिए।
वैक्सीन का प्रभाव ओमिक्रॉन पर कम
प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने ये भी चेताया कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन पर वैक्सीन का प्रभाव कम हो सकता है। उनके मुताबिक वैक्सीन के प्रभाव के कम होने की संभावना का मतलब ये नहीं है कि संक्रमण बेहद गंभीर या मौत का कारण बन सकता है। उन्होंने बताया कि ये वैरिएंट थोड़ा अलग है।
इससे हो सकता है कि वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडी या दूसरे वैरिएंट के संक्रमण से बनने वाली एंटीबॉडी ओमिक्रॉन के संक्रमण को रोकने में कम प्रभावी हो। मगर इसका मतलब ये कतई नहीं है कि वैक्सीन प्रभावी नहीं है।
बरतनी होंगी ये सावधानियां
उन्होंने ओमिक्रॉन वैरिएंट के बारे में बात करते हुए कहा कि इसके स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन है जो वायरस के संक्रमण को बढ़ाने का काम करता है। गिल्बर्ट के मुताबिक जब तक इस नए वैरिएंट को लेकर और भी जानकारी सामने ना आ जाए, तब तक लोगों को भी सावधान रहने की जरूरत है।
गौरतलब है कि सारा गिल्बर्ट ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीनोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर हैं। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन बनाने वाले ग्रुप की एक मेंबर भी रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि गिल्बर्ट के मुताबिक यह आखिरी बार नहीं है जब कोई वायरस हमारे जीवन के लिए खतरा बना है।
कहा गया कि सच्चाई यह है कि आने वाला समय और भी बदतर हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन में रविवार को ओमिक्रॉन के 86 नए केस मिले। वहीं UK में अब कुल पीड़ितों की संख्या 246 हो गई है। बताया गया कि शनिवार तक यहां 160 केस थे,
यानी एक दिन में ओमिक्रॉन के मामलों में 50 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। बताया जा रहा है कि बीते दिन UK में कोविड-19 के 43,992 नए केस मिले। यहां अब तक 1.04 करोड़ लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं।
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