लखनऊ। इस बार यूपी में कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार बताए जा रहे है। दरअसल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शीतलहर पड़ना जारी है। वहीं पूर्वानुमान में द्रास और जोजिला सहित दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के अन्य इलाकों में रविवार और सोमवार को बर्फबारी होने की संभावना जताई गई है।
इधर मौसम वैज्ञानिक जेपी गुप्ता के मुताबिक इस बार कड़ाके की ठंड पड़ेगी और तापमान में तेजी से गिरावट दर्ज की जाएगी। बताया गया कि सितंबर से शुरु होने वाली ठंड अगले साल फरवरी 2022 तक जोरदार ठंड पड़ेगी। बताया गया कि पिछले रविवार को यूपी का सबसे ठंडा शहर मेरठ रहा जिसका न्यूनतम तापमान 8.4 दर्ज किया गया।
मौसम विभाग ने आसार जताया है कि इस ठंड की वजह से अगले तीन महीने तक सर्दी पड़ेगी। बताया गया कि इसकी वजह से प्रदूषण बढ़ेगा। यही नहीं इस साल सर्दी की वजह से सांस लेने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं मौसम विभाग ने अगले तीन महीने तक सावधान रहने के लिए चेताया है।
मिली जानकारी के मुताबिक तापमान शून्य से 16.8, कारगिल में शून्य से 17.4 और द्रास में शून्य से 22.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। वहीं जम्मू शहर में 5 डिग्री सेल्सियस, कटरा में 5.7, बटोत में 2.0, बनिहाल में शून्य से 1.8 और भदरवाह में शून्य से 1.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
बताया गया कि शीतलहर चलने से ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। इसका असर उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में सर्दी सारे रिकॉर्ड तोड़ने को आतुर है। दिल्ली से ज्यादा ठंड प्रयागराज में होने की एक वजह संगम है। ये शहर दो तरफ से नदियों से घिरा है और मैदानी इलाकों से चलने वाली शीतलहर के कहर को नदियों का ठंडा पानी बढ़ा देता है।
इस वजह से पड़ेगी कड़ाके की ठंड
मिली जानकारी के मुताबिक ये आसार सुदूर प्रशांत महासागर में हुए मौसम के बदलावों की वजह से जताए गए हैं। वैज्ञानिक अपनी भाषा में इस बदलाव को ला नीना प्रभाव बता रहे हैं। बताया गया कि मौसम की इस स्थिति के लिए ला नीना को जिम्मेदार बताया जा रहा है। उनके मुताबिक प्रशांत क्षेत्र में ला नीना उभर रहा है।
आमतौर पर इसका अर्थ है कि उत्तरी गोलार्ध में तापमान का सामान्य से कम रहेगा। इसका असर उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार पर दिख सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक मौसम में असामान्य परिवर्तन नहीं है। अक्टूबर के आखिरी में ठंड दस्तक दे देती है।
फिलहाल अभी मौसमी सिस्टम एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र कोमोरिन क्षेत्र और श्रीलंका तट के आसपास के हिस्सों पर बना हुआ है। बताया गया कि 29 नवंबर तक दक्षिण अंडमान सागर के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। यह गहरे निम्न दबाव में बदन जाएगा और उसके बाद अगले 48 घंटों में पश्चिम उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ेगा।
जानिए क्या है ‘ला नीना’
बताया गया कि जलवायु के बड़े लेकिन दिखाई देने वाले दुष्प्रभावों में से ‘ला नीना’ प्रभाव एक है। प्रशांत महासागर में अल नीना की वजह से बदलाव की शुरुआत होती है और इसका असर दुनिया के कई हिस्सों में देखने को मिलता है जो असामान्य से लेकर चरम मौसम के रूप में दिखाई देता है।
बताया गया कि हाल ही में भारत से मानसून की विदाई की बाद लोगों को बहुत जल्द काफी ज्यादा ठंड झेलनी पड़ सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार पिछले कुछ सालों की तुलना में ठंड का प्रकोप ज्यादा भीषण होने वाला है।
इसे भी पढ़ें..