दीपावली पर अंधविश्वास की भेंट चढ़ेंगे सैकड़ों उल्लू , यूं हो रही तस्करी

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दरअसल हर वर्ष दीपावली का त्योहार आते ही अपार धन प्राप्ति के लिए कई अंधविश्वासी लोग श्री विष्णुप्रिया देवी लक्ष्मी की सवारी समझे जाने वाले उल्लुओं की बलि देते हैं।

गोरखपुर। कहने को तो हम 21वीं में पहुंच चुके हैं बावजूद इसके आज भी हमारा समाज पूरी तरह से अंधविश्वास से उबर नहीं पाया है। दरअसल हर वर्ष दीपावली का त्योहार आते ही अपार धन प्राप्ति के लिए कई अंधविश्वासी लोग श्री विष्णुप्रिया देवी लक्ष्मी की सवारी समझे जाने वाले उल्लुओं की बलि देते हैं।

बताया जाता है कि लोग कर्ज लेकर भी उल्लुओं के लिए मुंहमांगी रकम देने के लिए तैयार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक बड़े मीडिया संस्थान की टीम गोरखपुर के रायगंज स्थित मीर शिकार मोहल्ले में इसकी पड़ताल में पहुंची तो पता चला कि महीनों से यहां उल्लुओं के लिए आर्डर आए हैं। बताया गया कि व्यापारी मॉल लेने बाहर गया है।

सभी लोगों के आर्डर की डिलेवरी दो दिनों के बाद होने लगेगी। बताया गया कि उल्लू की डिमांड करने पर एक व्यक्ति ने सीराज नाम के मीर शिकार से मिलवाया। सीराज देसी तोता सहित अन्य चिड़ियों की दुकान सजाए बैठे थे। डिमांड करने पर उसने दो दिन बाद उल्लू देने का दावा भी किया।

इसलिए देते हैं उल्लू की बलि

मिली जानकारी के मुताबिक राज्य और देश के जंगलों समेत कोने-कोने से उल्लुओं को पकड़कर उसे बेचने वाले हर दीपावली की रात से करीब दो-तीन महीने पहले से ही सक्रिय हो जाते हैं।

हर साल की तरह ही इस साल भी दीपावली आते ही एक बार फिर से इन बेजुबान प्रणियों का कत्लेआम करने की गुपचुप तैयारी चल रही है। बताया जाता है कि तांत्रिक पूजा के लिए साल भर विशेष अवसरों पर इन उल्लुओं की बलि दिए जाने की बात कही जाती है।

मुंहमांगी वसूली जाती है कीमत

पेशे के जानकारों के अनुसार इसका सबसे बड़ा काम महराजगंज स्थित सोहगीबरवा जंगल से होता है। बताया गया कि सोहगीबरवा के जंगलों से उल्लुओं को पकड़कर उसे आसपास के जिलों में मुंहमांगी कीमत पर बेचा जाता है। जानकारों के मुताबिक इसके लिए कुछ विशेष तरह के उल्लुओं की कुछ अधिक डिमांड होती है।

इनके रेट 50 हजार से लेकर 2-3 लाख रुपए तक भी मिल जाते हैं। बताया गया कि रस्मअदायगी के नाम पर यहां गोरखपुर में भी 15 सौ से 5 हजार रुपए तक के उल्लू चोरी-छिपे बेचे जा रहे हैं।

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