नरेंद्र गिरि की मौत के दस दिन बाद बलवीर पुरी को बनाया गया श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी का महंत

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Ten days after the death of Narendra Giri, Balvir Puri was made the Mahant of Shrimath Baghambri Gaddi.
बिल्केश्वर महादेव मंदिर के महंत बलवीर पुरी को श्री मठ बाघम्बरी गद्दी का महंत बनाया गया है।

प्रयागराज। महंत नरेंद्र गिरि की मौत के 10 दिन बाद हरिद्वार स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर के महंत बलवीर पुरी को श्री मठ बाघम्बरी गद्दी का महंत बनाया गया है। गुरुवार को हरिद्वार में निरंजनी अखाड़े में आयोजित संतों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। आपकों बता दें कि अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज और सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी की मौजूदगी में यह घोषणा की गई। श्री मठ बाघम्‍बरी गद्दी के श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद से उनके उत्‍तराधिकार काे लेकर काफी दिन से चर्चा चल रही थी। अब बलवीर पुरी को महंत बनाए जाने से उत्तराधिकारी का संकट खत्म हो गया है।

आपकों बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु के मामले की सीबीआई जांच कर रही है। सीबीआई की टीम जांच को आगे बढ़ाने के लिए आनंद गिरि को कस्टडी में लेकर पूछताछा कर रही है। उनके मोबाइल और लैपटॉप बरामद करने के लिए गुरुवर को हरिद्वार पहुंची जहां उनके आश्रम से लैपटाप और आइपैड बरामद कर उसे चेक किया जा रहा है। सीबीआई को इस मामले में उस कथित अश्लील वीडियो की तलाश है जिसके नाम पर महंत नरेंद्र गिरि को धमकाया जा रहा था।

जाने बलवीर पुरी के बारे में

आपकों बता दें कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के करीबी शिष्यों में शामिल महंत बलवीर पुरी उनके विश्वासपात्र रहे। वह वर्ष 1998 में निरंजनी अखाड़े के संपर्क में आए थे। श्रीमहंत से उनका संपर्क वर्ष 2001 में हुआ। उस वक्त श्रीमहंत नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे।

बलवीर पुरी ने अखाड़े में श्रीमहंत के संपर्क में आने के बाद दीक्षा ग्रहण कर उनके शिष्य हो गए थे। इसके बाद बलवीर पुरी उनके घनिष्ठ और विश्वासपात्र सहयोगी के तौर पर आगे बढ़ते चले गए। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि जब निरंजनी अखाड़े की ओर से बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर बन कर प्रयागराज गए तो बलवीर पुरी भी उनके साथ वहां चले गए।

सहयोगी के तौर पर श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपी उन्होंने पूरी कर्मठता और निष्ठा से उसे निभाया। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की उन पर निर्भरता और विश्वास इस कदर था कि कुंभ और बड़े पर्व के दौरान अखाड़े और मठ की ओर से खर्च को आने वाले लाखों रुपये उनके पास ही रहते थे और उन्हीं की देखरेख में इससे खर्च किया जाता था। इस साल हुए हरिद्वार कुंभ के दौरान भी उन्होंने इस भूमिका की निभाया।

इसलिए महंत ने की थी आत्महत्या

मालूम हो कि आत्महत्या करने से पूर्व महंत ने जो सुसाइड नोट छोड़ा था, उसमें लिखा था कि वह ऐसे किसी फोटो को वायरल किए जाने पर होने वाली बदनामी के डर से आत्महत्या कर रहे हैं। 12 पन्ने के सुसाइड नोट में महंत की ओर से लिखा था कि आज हरिद्वार से जानकारी मिली कि आनंद गिरि एक-दो दिन में किसी लड़की के साथ उनकी मोबाइल से तैयार फोटो या वीडियो वायरल करने वाला है जिससे उनकी बहुत बदनामी हो जाएगी, वह किस किस को कहां तक सफाई देंगे और लोगों को सच्चाई तो बाद में पता चलेगी लेकिन उनकी इज्जत खत्म हो जाएगी, उनका पद बहुत गरिमामयी है और वह बदनामी के साथ नहीं जी सकते इसलिए आत्महत्या करने जा रहे हैं।

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