ऑनलाइन कवि सम्मेलन: कवियों ने कुछ यूं समझाया हिन्दी का महत्व

305
हिन्दी दिवस के अवसर पर सुरभि कल्चरल ग्रुप की ओर से ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

लखनऊ। हिन्दी दिवस के अवसर पर सुरभि कल्चरल ग्रुप की ओर से ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में यूपी के अलग-अलग हिस्सों से रचनाकारों ने अपनी कविताओं के माध्यम से हिंदी की महत्ता बताई। कार्यक्रम में लखनऊ से मोहिनी मिश्रा सुनाया ‘गुलामी से आजादी तक की एक आवाज़ है हिंदी, प्रेम, एकता ,राष्ट्रीयता की एक अमृत बूंद है हिंदी।’

इसके बाद बरेली से राजबाला धैर्य ने रचना सुनाते हुए कहा,’गुणगान हिन्द का हिन्दी से।माँ का भाल सजाएँ बिन्दी से।’ वहीं लखनऊ से संजय मल्होत्रा “हमनवा” द्वारा ‘हिंदी से भला क्यूँ रहते हैं दूर, माथे की बिंदी को बना सको सिंदूर।’ सुनाया गया। कार्यक्रम में समां बांधते हुए चंदौसी से डा रीता सिंह ने ‘मुक्ति का है बिगुल बजाया मेरी प्यारी हिन्दी ने, जन जन में है जोश जगाया मेरी प्यारी हिन्दी ने,’ सुनाया।

अपनी बारी में लखनऊ से शिखा श्रीवास्तव द्वारा ‘सरल इतनी है ये भाषा की भारत की निशानी है, समझ लेते है आसानी से बनी हर एक कि बानी है।’ सुनाया गया। इसी तरह गजरौला से प्रीति चौधरी ने मेरी पहचान है हिंदी, मुझे वरदान है हिंदी ! बहे जो ज्ञान की गंगा यही अभियान है हिंदी।’ सुनाया। वहीं लखनऊ से प्रवीन शुक्ल ने अपनी रचना सुनाते हुए कहा, ‘हिन्दी तुम हमारे माथे की बिंदी हो,इसीलिए तुम्हें एक दिन याद करता हूं। अंग्रेजी सर से लेकर पांव तक समाई हुई हूं,उड़ने से लेकर बिछाने तक छाई हुई हों।’

वहीं रामपुर से अनमोल रागिनी ने सुनाया ‘हिन्दी है जन -जन की बोली,हिन्दी है अनुपम भाषा। फिर जाने क्यों बदल गयी है!’ इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि व्यंग्यकार और कवि पंकज प्रसून ने ‘हिंदी ने भाषाओं के जग में स्थान बनाया है, हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई को इंसान बनाया है,हिंदी के प्रति श्रद्धा प्रेम समर्पण का हम भाव रखें, हिंदी ने ही भारत भूमि को हिंदुस्तान बनाया है।’ सुनाकर कार्यक्रम में सामाजिक सौहार्द का रस घोल दिया।

इस दरम्यान उन्होंने कहा कि हिंदी में दुनिया भर की भाषाओं के शब्दों को समाहित कर लेने की अद्भुत क्षमता है। इसी क्षमता को देखते हुए हिंदी में वैज्ञानिक साहित्य में ज्यादा से ज्यादा लिखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब बीएससी और एमएससी की परीक्षाओं को छात्र हिंदी में देने लगेगा तब हिंदी की वास्तविक तरक्की मानी जाएगी। वहीं कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे रामपुर से जितेन्द्र कमल आनंद ने ‘संस्कृति अपनी हिंदी से है, हिंदी से पहचान है। हिंदी का फहराता झण्डा,प्यारा हिंदुस्तान है।’ सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम का संचालन अनमोल रागिनी गर्ग ने किया। वहीं संयोजक की भूमिका संस्था के सचिव शैलेन्द्र सक्सेना की रही।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here