105 दिनों तक नागा साधू आनंद गिरी की कठोर साधना का साक्षी रहा माता बड़ी भुय्यन देवी मंदिर, भण्डारा कल

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बड़ी भुय्यन देवी माता का मंदिर का परिसर बीते 105 दिनों से तपस्वी—योगी नागा साधू आनंद गिरि महाराज के कठोर तप का साक्षी बना हुआ है।

लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आईएमए रोड स्थित बड़ी भुय्यन देवी माता का मंदिर का परिसर बीते 105 दिनों से तपस्वी—योगी नागा साधू आनंद गिरि महाराज के कठोर तप का साक्षी बना हुआ है। विश्व कल्याण की भावना से यहां कठोर साधना कर रहे नागा साधू आनंद गिरी महाराज की तपस्या का आज अंतिम दिन रहा। अब कल यानी 11 सि​तम्बर, शनिवार को यहां पूर्णाहूति के साथ यहां भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

आयोजन में काफी संख्या में साधू—संतों के साथ भारी संख्या में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे। उल्लेखनीय है कि यहां आईएमए रोड के सरौरा में स्थित माता बड़ी भुय्यन देवी मंदिर परिसर में माता सेवक तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि की 105 दिन की कठोर साधना चल रही है। यह अनुष्ठान उन्होंने बीते 30 मई से आरम्भ किया, जो कल यानी 11 सितम्बर को पूर्णाहूति व भव्य भंडारे के आयोजन के साथ संपन्न हो जाएगा।

अनुष्ठान के तहत हठ योग व जप योग के जरिए विश्व कल्याण के लिए की ईश्वर की उपासना की गई। इस दौरान कोरोना के कहर की रफ्तार थीमी पड़ने की भी खबरें सामने आती रही हैं। वहीं 105 दिन के पूरे अनुष्ठान के दौरान तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि ने अन्न ग्रहण नहीं किया। भोजन से दूर रहकर वह सिर्फ पेय पदार्थ यानि मठ्ठे व अन्य पेय पदार्थ का ही सेवन करते रहे हैं, वो भी 24 घंटे में सिर्फ एक बार।

इधर ग्रामीणों का कहना है कि बाबा ने मानव कल्याण को अपना जीवन समर्मित कर रखा है। ऐसे में कठोर तप के जरिए वह अपने विश्व कल्याण के संकल्प को पूर्ण कर रहे हैं। बताया गया कि उनका यह कठोर तप कोरोना जैसी विश्व त्रासदी से विश्व व भारत को उबारने के लिए किया जा रहा है। इस पूरे अनुष्ठान के दो चरण रहे। पहला चरण जिसमें हठ योग के जरिए सूर्य देव की उपासना की गई। इसके लिए यहां माटी का एक गोल टीला निर्मित किया गया था, जिसके चारों ओर गड्ढा बनाया गया।

साथ ही इसके चारों ओर उपलों के द्वारा अग्नि जलाई जाती और तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि इसके मध्य में बैठ सूर्य देव से प्रार्थना करते। बताया गया कि यह प्रक्रिया सूर्यदेव की बढ़ती तपिश के साथ तब तक चलती रहती, जब तक कि सूर्य देव की तपिश अपने चरम से नीचे न उतरने लगे। वहीं अनुष्ठान का दूसरा चरण जप योग का रहा। यह रात्रि के समय आरंभ होता था। यह रात्रि 2 बजे से आरम्भ होता। इसमे माता सेवक तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि मंत्र जप द्वारा अपनी साधना करते थे।

इस बाबत नागा साधू आनंद गिरि बताते हैं कि उनका जीवन विश्व कल्याण के लिए समर्पित है। यहां सनातन धर्म की स्थापना ही उनके इस लौकिक जीवन का मुख्य ध्येय है। वहीं अंतिम दिन साधना पूर्ण होने के उपरान्त उन्होंने बताया कि 11 सितम्बर को पूर्णाहूति के बाद भव्य भंडारे का आयोजन होगा जिसमें बड़ी संख्या में साधू—संत व श्रद्धालु यहां उपस्थित होंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे।

विजय मिश्र

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