मैनपुरी। जरा महसूस किजिए अगर किसी माता-पिता के सामने उनका आठ साल पहले मृत बेटा पुनर्जन्म लेकर आ जाए तो उस माता-पिता का क्या हाल होगा। एक बार तो उस माता-पिता को विश्वास नहीं होगा कि उनका मरा हुआ बच्चा पुनर्जन्म लेने के बाद आज फिर उनकी गोद में आ गया।
यह कहानी फिल्मी जरूर लगती है, लेकिन यह हकीकत में गुरुवार को सामने आई यूपी के मैनपुरी जिले से। यहां आठ साल पहले मृत 13 वर्षीय बच्चे ने पुनर्जन्म के बाद अपने पहले घर पहुंचा और अपने पहले जन्म के माता-पिता के घर पहुंचा और अपनी मां के पैर छूकर बोला- मां मैं तेरा बेटा रोहित मुझे नहीं पहचाना यह मेरा दूसरा जन्म है। यह सुन उसकी मां की आंखो से आंसू निकलने लगे और अपने बेटे को फिर से गले लगा लिया। यह देखने के बाद किसी के भी आश्चर्य का ठीकाना नहीं रहा है।
पहले जन्म की कहानी
अब कहानी के फ्लैश बैक में चलते हैं। मैनपुरी के नगला सलेही के रहने वाले प्रमोद और उनकी पत्नी उषा के घर एक पुत्र का जन्म हुआ था। पति-पत्नी ने अपने बच्चे का नाम रोहित रखा। रोहित बचपन से ही बड़ा होशियार था गांव में उसके काफी दोस्त थे। एक दिन 13 साल की उम्र में गांव के पास से गुजरी नहर में नहाते समय रोहित की डूबने से मौत हो गई। बेटे की मौत से प्रमोद कुमार और उषा देवी पुरी तरह से टूट गए। किसी तरह बच्चे का अंतिम संस्काार किया। धीरे-धीरे रोहित की यादें धूमिल होती गई। अचानक गुरुवार को खेत गए प्रमोद और उषा की सूचना मिली की तुम्हारा रोहित पुनर्जन्म लेकर वापस लौट आया है और तुम लोगों से मिलने तुम्हारे घर इंतजार कर रहा है। यह सुनने के बाद एक बार तो पति -पत्नी को विश्वास नहीं हुआ कि उनका बेटा जो आठ साहले पहले नहाते डूबकर मर गया था वह वापस आया है। फिर भी पति -पत्नी खेत से भागते हुए घर आए।
गुरुवार 19 अगस्त की कहानी
जब पति—पत्नी घर पहुंचे तो एक आठ साल का बालक एक व्यक्ति के साथ उनके घर पर उनका इंतजार कर रहे थे। उन्हें देखते ही उस बालक ने दोनों के पैर छूते हुए कहा-मम्मी मैं आपका बेटा रोहित हूं। यह सुनकर दोनों को विश्वास नहीं हुआ तो इस जन्म में बालक का नाम चंद्रवीर रखा गया है। चंद्रकांत ने अपने पूर्व जन्म की एक- एक कहानी अपने उस जन्म के मम्मी पापा को सुनाने लगा। गांव के हर एक इंसान को पहचानने लगा जिस उसने मरने से पहले देखा था। यहां तक कि अपने घर और स्कूल की कक्षा को भी पहचान कर लोगों को बताया। बच्चे की एक -एक कहानी सुन उसके माता-पिता की आंखों से आंसू आने लगे। फिर बच्चे चंद्रवीर उर्फ रोहित को अपने गले से लगा लिया।
गांव में लगी भीड़
मैनपुरी में गुरुवार दोपहर तीन बजे के करीब। नगला सलेही से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित नगला अमर सिंह निवासी रामनरेश शंखवार अपने आठ वर्षीय पुत्र चंद्रवीर को लेकर प्रमोद कुमार के घर के बाहर पहुंचे। चंद्रवीर दौड़कर प्रमोद के घर में घुस गया। उस समय प्रमोद और उनकी पत्नी ऊषा घर में नहीं थे। कुछ देर में ही प्रमोद और ऊषा आ गए। चंद्रवीर ने मम्मी-पापा कहते हुए दोनों के पैर छुए। बताया कि वह उनका बेटा रोहित है तो दंपती हैरान रह गए। जिस बेटे का अंतिम संस्कार उन्होंने आठ साल पहले खुद किया था, वह सामने कैसे हो सकता है? चंद्रवीर ने बताया कि यह उसका दूसरा जन्म है। चंद्रवीर की बात सुनकर दंपती की आंखों से आंसू आ गए। उसे सीने से लगा लिया।
दो साल बाद ही बताने लगा था अपने गांव का नाम
रोहित के इस जन्म के पिता रामनरेश ने बताया कि चंद्रवीर का जन्म 30 जून 2013 को हुआ। दो वर्ष की उम्र में ही वो बोलने लगा। तभी नगला सलेही का नाम लेने लगा था। छह साल की उम्र में चंद्रवीर नगला सलेही जाने की जिद करने लगा। वो अक्सर अपने पूर्व जन्म की घटना सुनाता था। बाल हठ देख गुरुवार को चंद्रवीर को लेकर नगला सलेही पहुंच गए। जबकि उसके पहले जन्म् के पिता ने बताया कि रोहित की मौत 4 मई 2013 को नहर में नहाते हुए हुई थी।
प्रमोद कुमार के बेटे के पुनर्जन्म की कहानी सुनकर उनके घर के बाहर काफी भीड़ जुट गई। यह देखकर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुभाष चंद्र यादव भी आ गए। उन्हें देखते ही चंद्रवीर ने गुरुजी कहते हुए उनके पैर छू लिए।चंद्रवीर ने कुछ दिन अपने पूर्व जन्म के माता-पिता के साथ रहने की इच्छा जताई। प्रमोद और उनकी पत्नी भी चंद्रवीर को कुछ दिन अपने साथ रखना चाहती थीं। लेकिन चंद्रवीर के पिता रामनरेश इसके लिए तैयार नहीं थे। गांव के लोगों के समझाने पर रामनरेश ने वादा किया कि वह बेटे को समय-समय पर यहां लाते रहेंगे।
चंद्रवीर उर्फ रोहित के मन की बात
आठ वर्षीय चंद्रवीर उर्फ रोहित अपने पिछले जन्म के परिवार और दोस्तों को अभी भी भूल नहीं पाया है, इसलिए वह कुछ दिन तक अपने पहले जन्म के माता -पिता के साथ रहना चाहता है। लेकिन उसके इस जन्म के पिता ने उसे उसके पुराने घर नहीं छोड़ा बल्कि उसे अपने साथ इस आश्वासन के साथ ले गए जब तुम्हारी इच्छा होगी तो तुम्हे यहां लोगों से मिलवाने लेकर आउंगा। इसके बाद चंद्रवीर ने अपने पहले जन्म के माता-पिता के पैर छूकर अपने दूसरे जन्म के पिता के साथ चल दिया।
विज्ञान का यह कहना है
वहीं इस विषय में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय, आगरा के डॉक्टर दिनेश राठौर का कहना है कि एक थ्योरी, पुनर्जन्म को सही मानती है और इसी पर पास्ट लाइफ थैरेपी काम करती है। जबकि दूसरी थ्योरी पुनर्जन्म को नहीं मानती है, इसके अनुसार बच्चा बोलने से पहले समझना शुरू कर देता है। उसके आसपास जो भी घटनाक्रम हो रहे हैं, अपने स्वजन और अन्य माध्यम से जो बातें सुनते हैं वह अचेतन मन में रहती हैं। इससे कई बार बच्चे उन घटनाक्रमों को जोड़कर बातें बताने लगते हैं और इसे पुर्नजन्म समझ लिया जाता है।
इसे भी पढ़ें…
प्रयागराज में महिला सिपाही को दोस्त ने बनाया हवश का शिकार,फिर करने लगा ब्लैकमेल