कर्बला की जंग जुल्म के खिलाफ इंसानियत और शहादत का पैगाम देती है

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Battle of Karbala gives message of humanity and martyrdom against oppression
कई जगहों पर मुस्लिम समुदाय के अलावा गांव के लोग भी शामिल हुए।

अयोध्या- बीकापुर। कोतवाली क्षेत्र के कई जगह पर सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुक्रवार को कर्बला में ताजिए सुपुर्द ए खाक किए गए। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोतवाली पुलिस मुस्तैद रही। पुलिस क्षेत्राधिकारी सत्येंद्र भूषण त्रिपाठी और उप जिलाधकारी केडी शर्मा भी सुरक्षा व्यवस्था पर नजर गड़ाए रहे।

मोहर्रम शांतिपूर्ण ढंग से निपट जाने पर पुलिस प्रशासन और अधिकारियों ने राहत की सांस लिया। चौरे बाजार पुलिस चौकी क्षेत्र में भी करीब चार दर्जन ताजिया सुपुर्द ए खाक किए गए। इस दौरान शासन प्रशासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया गया। लोगों ने पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और इमाम हसन की कुर्बानी को याद किया गया। कई जगहों पर मुस्लिम समुदाय के अलावा गांव के लोग भी शामिल हुए। बताया गया कि मुस्लिम समुदाय के लिए मोहर्रम बहुत अहमियत रखता है। इस दिन पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और इमाम हसन की कुर्बानी को याद किया जाता है।

इमाम हुसैन और इमाम हसन

कर्बला की जंग (680 ईसवी) के दौरान हजरत इमाम हुसैन और इमाम हसन की हुई शहादत को याद किया जाता है। इमाम हुसैन और इमाम हसन ने इस्लाम की रक्षा के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी थी। इन दोनों के साथ उनके 72 साथियों ने भी कुर्बानी दी थी। इराक के कर्बला शहर में ही इमाम हुसैन और इमाम हसन ने राजा यजीद के खिलाफ जंग लड़ी थी। इस शहर में ही इमाम हुसैन का मकबरा स्थापित है। इराक की राजधानी बगदाद से करीब 120 किलोमीटर दूर कर्बला शहर मौजूद है। कर्बला की जंग इंसाफ और इंसानियत की लड़ाई का प्रतीक है। अंत तक इमाम हुसैन और उनके साथी जुल्म ज्यादती के खिलाफ एवं इंसाफ के लिए लड़ते रहे।

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