जानिए भाजपा कैसे बिगाड़ेगी स्वामी प्रसाद मौर्य का खेला,पढ़िए ऊंचाहार सीट का गणित

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Know how BJP will spoil Swami Prasad Maurya's play, read the maths of Unchahar seat
ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य का सपना कैसे पूरा होगा यह बड़ा सवाल है।

लखनऊ। यूपी की राजनीति में तहलका मचाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की सपा में जाने के बाद भी मुश्किलें कम नहीं होगी, क्योंकि वह जिस सीट के लिए भाजपा से रिश्ता तोड़ा हैं, उसी सीट के लिए वह बसपा से भी रिश्ता तोड़ चुके है। दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे ऊंचाहार से विधायक बनाने का सपना पिछले दस साल से देख रहे है, लेकिन उनका यह ख्वाब पूरा होता नहीं दिख रहा है।

क्योंकि दो बार चुनाव लड़ने के बाद भी स्वामी के बेटे को हार का सामना करना पड़ा था, अब सपा में जाने के बाद भी उन्हें यह सीट नहीं मिलने वाली है। दरअसल ऊंचाहार सीट से सपा के दमदार नेता मनोज पांडेय पिछले दो बार से स्वामी के बेटे को हरा चुके है और वह आसानी से इस सीट का नहीं छोड़ सकते है। यदि सपा ने यह ​सीट खाली करानी चाहिए तो मनोज पांडेय बगावत कर सकते हैं, वहीं भाजपा की नजर पहले से ही मनोज पांडेय पर है। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य का सपना कैसे पूरा होगा यह बड़ा सवाल है।

इस्तीफे से चौंकाया था स्वामी ने

आपकों बता दें कि ओबीसी समुदाय के दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को योगी कैबिनेट से इस्तीफा देकर सबको चौंका। स्वामी ने मंत्री पद छोड़ने के ऐलान के साथ ही बीजेपी सरकार की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की। कुछ ही देर में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विटर पर यह भी ऐलान कर दिया कि स्वामी का ‘प्रसाद’ अब उनकी पार्टी को मिलेगा। हालांकि, बीजेपी तुरंत डैमेज कंट्रोल जुट गई है। पहले खुद स्वामी और फिर उनकी बेटी ने साफ किया कि मौर्य अभी किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं। इस बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि स्वामी ने आखिर यह कदम क्यों उठाया स्वामी ने भले ही यह कहा कि वह सरकार के कामकाज से असंतुष्ट होकर इस्तीफा दे रहे हैं, लेकिन झगड़े की असली वजह यूपी की ऊंचाहार सीट है।

इसी सीट के लिए बसपा से तोड़ा था नाता

आपकों बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में बागी रुख अपनाया है ठीक उसी तरह 5 साल पहले उन्होंने बसपा से नाता तोड़ लिया था। उस समय बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मौर्य को पार्टी से निकाले जाने का दावा करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वह अपने बेटा-बेटी को टिकट देने के लिए दबाव बना रहे थे। मायावती ने यह भी कहा था कि पार्टी नेताओं के कहने पर उन्होंने 2012 में मौर्य के बेटे को ऊंचाहार से टिकट दिया था, लेकिन जीत नहीं पाए। लेकिन एक बार फिर वह टिकट मांग रहे थे।

सपा को विद्रोह का डर

स्वामी प्रसाद मौर्य यदि सपा को नया घर बना रहे है तो वह बेटे के लिए ऊंचाहार सीट की मांग करते हैं तो सपा में भी बगावत तय है। असल में ऊंचाहर से सपा के ही मनोज पांडेय ने दो बार उत्कृष्ट को हराया है। ऐसे में यदि सपा ऊंचाहार सीट स्वामी के बेटे को देती है तो मनोज पांडेय बगावत कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि बीजेपी की नजर पहले से ही मनोज पर है।

बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य और मनोज पांडेय को एक साथ साधने की कोशिश के तहत दूसरी रणनीति पर काम कर रही है। समाजवादी पार्टी ने स्वामी प्रसाद से कहा है कि वह बेटे उत्कृष्ट को किसी और सीट से चुनाव लड़ा लें। चर्चा है कि सपा ने स्वामी के बेटे के लिए फाफामऊ सीट ऑफर की है।

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