स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी, बोलीं मेरे पिता अभी किसी पार्टी में नहीं, जल्द बताएंगे रणनीति

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Equation will change: Swami Prasad Maurya riding a bicycle, know how much loss will be caused to BJP
ये गैर यादव ओबीसी पूरे प्रदेश में फैले हुए हैं और कच्छी, मौर्य, कुशवाहा, सैनी और शाक्य के उपनामों से जाने जाते हैं।

लखनऊ। यूपी की राजनीति में मंगलवार का दिन बड़ा उल्ट फेर का दिन रहा है। एक तरफ जहां सभी दल टिकट को फाइनल करने में जुटे है, वहीं भाजपा को उसके ही मंत्री ने तगड़ा झटका दे दिया है। क्योंकि पहली बार योगी सरकार का किसी मंत्री ने इस्तीफा दिया, उनके साथ तीन और विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। इन सभी के सपा ज्वाइन करने की अटकलें हैं, वहीं स्वामी प्रसाद की सांसद बेटी संघमित्रा मौर्य ने दावा किया है कि उनके पिता ने अभी कोई पार्टी ज्वाइन नहीं की है। अभी दो दिन में सारी रणनीति साफ करेंगे। वहीं अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य से मुलाकात की फोटो ट्वीट करके इसकी जानकारी दी थी। अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है।

यूपी की राजनीति में मौर्य समाज का एक बड़ा वोट बैंक है, लेकिन कोई एक सर्वमान्य नेता समाज का नहीं है। भाजपा सरकार में स्वामी प्रसाद मौर्य और केशव प्रसाद मौर्य दो बड़े नेता शामिल रहे। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है, मैं नहीं जानता हूं। उनसे अपील है कि बैठकर बात करें।

आपकों बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य की सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी मुलाकात हो चुकी है और वह सपा में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा, भाजपा विधायक रोशन लाल वर्मा, भगवती सागर, बृजेश प्रजापति, ममतेश शाक्य, विनय शाक्य, धर्मेंद्र शाक्य और नीरज मौर्य ने भी पार्टी पद से इस्तीफा देने का एलान किया है। रोशन लाल वर्मा ही स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा लेकर राजभवन गए थे। कहा जा रहा है ये सभी नेता सपा में शामिल हो सकते हैं।

मौर्य का प्रभाव कैसा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मौर्य का टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा नेतृत्व से विवाद चल रहा था। मौर्य जिस जाति से ताल्लुक रखते हैं वो यादव और कुर्मियों के बाद यूपी का तीसरा सबसे बड़ा जाति समूह है। ये गैर यादव ओबीसी पूरे प्रदेश में फैले हुए हैं और कच्छी, मौर्य, कुशवाहा, सैनी और शाक्य के उपनामों से जाने जाते हैं। यूपी में इनकी आबादी करीब आठ फीसदी के आसपास है। करीब 100 विधानसभा सीटों पर इस जाति का प्रभाव माना जाता है।

कभी मायावती के थे सबसे खास

आपकों बता देें कि स्वामी प्रसाद मौर्य कभी बसपा प्रमुख मायावती के सबसे खाद माने जाते थे। स्वामी प्रसाद के जरिये ही बसपा मौर्य जाकि के वोट बैंक को साधती है। अब यही काम सपा करेगी। मौर्य जब बसपा में थे तब भी वे गैर यादव ओबीसी के वोटों के लिए बसपा के सबसे मजबूत नेता थे। उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले विश्लेषक मानते हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े वर्ग के बड़े और असरदार नेता हैं और इस तरह चुनाव से पहले उनका सपा में शामिल होना भाजपा के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के निदेशक और राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार मानते हैं कि निश्चित तौर पर यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है। क्योंकि 2014-2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें या 2017 के विधानसभा चुनाव की, भाजपा के जबरदस्त प्रदर्शन और उसे सत्ता में लाने के पीछे गैर यादव ओबीसी वोट बैंक का योगदान रहा था।

सपा के लिए भाजपा के वोट बैंक पर चोट जरूरी था

चुनाव जीतने के लिए सपा के लिए जरूरी था कि वह भाजपा के गैर यादव ओबीसी वोट बैंक पर चोट करें। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर के साथ गठबंधन करना इसलिए भी सपा के लिए महत्वपूर्ण है। इससे लोअर ओबीसी वोट में दरार आएगी। स्वामी प्रसाद मौर्य का साथ मिलने से गैर यादव ओबीसी के मामले में सपा का हाथ मजबूत होगा।

यदि स्वामी प्रसाद मौर्य का पूरा कुनबा सपा में जाता है तो निश्चित रूप से चुनावी फीजा अखिलेश यादव के पक्ष में बनेगी। राजनीति के लिए आमतौर पर यह कहा जाता है कि नेता जिस पार्टी में जाने लगें, समझिए उसकी हवा बन रही है यानी उस पार्टी के पक्ष में माहौल बनने में मदद होती है। यदि इस तरह नेता पाला बदल कर समाजवादी पार्टी में जाने लगें तो यह सपा के पक्ष में हवा बनाने में मददगार होगी, लेकिन यह कहावत बंगाल में गलत सिद्ध हुई थी।

भाजपा के ये नेता भी अब सपाई हुए

यूपी की बलिया की चिलकलहर विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थाम चुके हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता जय प्रकाश पांडे अपने समर्थकों के साथ सपा में शामिल हो चुके हैं।भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री अशोक कुमार वर्मा “गोपार” को भी अखिलेश यादव ने सपा की सदस्यता दिलाई थी।भाजपा के टिकट पर प्रयागराज से चुनाव लड़ चुके शशांक त्रिपाठी भी सपाई हो गए हैं। भाजपा के पूर्व एमएलसी कांति सिंह, प्रतापगढ़ से भाजपा के पूर्व विधायक ब्रजेश मिश्रा भी सपा में शामिल हो चुके हैं।

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