40 के बाद आईवीएफ प्रेगनेंसी के लिए इन बातों का रखे ध्यान नहीं तो पछताना पड़ेगा

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For IVF pregnancy after 40, keep these things in mind otherwise you will have to repent
ऐसे में यह जान लेना ज़रूरी है कि 40 की उम्र के बाद महिला को उसके शरीर से क्या उम्मीद रखनी चाहिए।

लखनऊ। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और नौकरी के चक्कर में लोग देर से शादी कर रहे है। इसलिए 40 की उम्र के बाद किसी भी महिला के मन में मेनोपॉज़ को लेकर चिंता उत्पन्न होना स्वाभाविक है। मेनोपॉज़ के दौरान महिलाओं में कई शारीरिक बदलाव होते हैं, उनकी प्राकृतिक रूप से गर्भवती होने की क्षमता पर असर होता है। आज के दौर में कई महिलाएं बच्चा पैदा न करने का निर्णय ले रही हैं, ऐसे में यह जान लेना ज़रूरी है कि 40 की उम्र के बाद महिला को उसके शरीर से क्या उम्मीद रखनी चाहिए।

जब महिला की उम्र 40 हो जाती है

डॉ. क्षितिज मुरड़िया सीईओ और सह-संस्थापक इंदिरा आईवीएफ के अनुसार, महिलाओं के शरीर में एग रिज़र्व सीमित होता है। जन्म के समय उनकी ओवरीज़ (अंडाशयों) में एक मिलियन से ज्यादा अपरिपक्व एग्स होते हैं । प्यूबर्टी (यौवनावस्था) आने तक एग्स की संख्या कम होते-होते मात्र 3,00,000 बच जाती है।

अंडाशय में हर महीने एक एग परिपक्व होता है और ओव्यूलेशन के दौरान उसे रिलीज़ किया जाता है। कई सारे दूसरे एग्स नष्ट भी हो जाते हैं। 35 की उम्र तक एग्स के नष्ट होने की गति कई गुना बढ़ जाती है, जिसका असर उनकी संख्या के साथ-साथ गुणवत्ता पर भी पड़ता है। जब महिला की उम्र 40 हो जाती है तब बचे हुए एग्स में से 50 प्रतिशत से ज़्यादा आनुवंशिक रूप से असामान्य हो जाते हैं। गुणवत्तापूर्ण एग्स की संख्या जब पहले ही कम हो चुकी हो तब इस तरह की असामान्यताओं से गर्भधारणा और भी मुश्किल हो जाती है।

मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) क्या होता है

अंडाशय की गतिविधि में कमी के कारण महिलाओं में मासिक धर्म चक्र समाप्त होना यानि मेनोपॉज़ या रजोनिवृत्ति। प्रजनन उम्र के दौरान, अंडाशय में फॉलिकल्स युक्त अंडे की परिपक्वता, ओव्यूलेशन और ओवेरियन हार्मोन्स एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन आदि कई गतिविधियां होती हैं। उम्र के साथ यह गतिविधियां कम होती जाती हैं और पूरी तरह से बंद हो जाती हैं।

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन न होने की वजह से गर्भाशय का अस्तर (एंडोमेट्रियम) बढ़ता नहीं और गर्भाशय भी सिकुड़ जाता है। इसके अलावा, पिट्यूटरी ग्रंथि से दो हार्मोन्स भारी मात्रा में बढ़ते हैं जिन्हें फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) और ल्यूटेनिसिंग हार्मोन कहा जाता है। यह दोनों मेनोपॉज़ के लक्षण हैं। मेनोपॉज़ आम तौर पर 45 से 55 और औसत 51 की उम्र में होता है। प्री-मेनोपॉज़ और पेरीमेनोपॉज़ चरणों में नियमित या अनियमित रूप से मासिक धर्म होता रहता है और इस दौर में महिला के शरीर में कुछ हार्मोनल बदलाव होते हैं।

40 की उम्र के बाद प्रेगनेंसी संभव है

40 की उम्र के बाद सामान्य गर्भावस्था प्राप्त की जा सकती है, हालांकि, उपलब्ध अंडों की संख्या और उनकी स्थिति के कारण संभावनाएं सीमित होती हैं। जो महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाती हैं लेकिन माँ बनने की ख्वाहिश रखती हैं, उनके लिए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) एक वरदान है। इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ) और इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) इस्तेमाल किए जाने वाले टेक्निक्स हैं। सही विशेषज्ञों से उचित और सहानुभूतिपूर्वक परामर्श माता-पिता बनने के लिए इच्छुक लोगों को राहत दे सकता है। महिला और पुरुष दोनों की प्रजनन क्षमता की जांच की जाती है, और फिर उन्हें इलाज के सबसे अच्छे विकल्प समझाएं जाते हैं।

एग रिज़र्व टेस्टिंग

40 से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए, एग रिज़र्व टेस्टिंग अनिवार्य है और उसके परिणाम के आधार पर, एआरटी उपचार सुझाए जाते हैं। यह टेस्ट दो चरणों में किया जाता है – रक्त की जांच और सोनोग्राफी के जरिए।रक्त की जांच के जरिए हार्मोन्स एफएसएच और एंटी मुलेरियन हार्मोन (एएमएच) के स्तर की जांच की जाती है। आमतौर पर, यदि फॉलिकल्स उपलब्ध हैं तो एएमएच स्तर 2.5 से 4 एनजी/ एमएल की रेंज में होना चाहिए। एफएसएच का उच्च स्तर और 2 एनजी / एमएल से कम एएमएच का अर्थ होता है एग रिज़र्व कम है।सोनोग्राफी में उपलब्ध फॉलिकल्स की संख्या की जांच होती है। अगर फॉलिकल्स का आकार 5 एमएम से कम है (जिसे एंट्रल या ग्रेफियन फॉलिकल्स कहा जाता है) और हर अंडाशय में 5 से कम फॉलिकल्स हैं तो कहा जाता है कि एग रिज़र्व कम है।

स्वयं के और डोनर के एग्स में फ़र्क

एग रिज़र्व टेस्टिंग से पता चलता है कि एआरटी करने के लिए पर्याप्त मात्रा में उपयुक्त एग्स हैं या नहीं। अगर रिज़र्व पर्याप्त है तो उस महिला को 10-12 दिनों के लिए हार्मोनल इंजेक्शन्स दिए जाते हैं, इन दिनों में एग्स विकसित होते हैं। ओवम पिकअप नामक प्रक्रिया से उन्हें जमा किया जाता है, पुरुष के स्पर्म के साथ फर्टिलाइज़ किया जाता है और चुना गया भ्रूण गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।लेकिन अगर रिज़र्व ख़त्म हो चूका है या भ्रूण नहीं बन पाते हैं, तो मरीज़ की अनुमति से और आवश्यक कागज़ात पूरे करने के बाद डोनर एग्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद की प्रक्रियाएं दोनों मामलों में एक समान होती हैं।

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