लखनऊ। यूपीटीईटी पेपर लीक मामले में योगी सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। एसटीएफ ने दिल्ली की चहेती कंपनी को नियमों को दरकिनार कर प्रश्नपत्र छापने का काम देने के दोषी पाए गए परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) के निलंबित सचिव संजय उपाध्याय को गिरफ्तार कर लिया गया है।
प्रश्नपत्र छापने का ठेका लेने वाली कंपनी आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड के निदेशक राय अनूप प्रसाद से पूछताछ में संजय उपाध्याय की संलिप्तता उजागर हुई थी। मालूम हो कि शासन ने संजय उपाध्याय को मंगलवार को निलंबित किया था। एसटीएफ की नजर अब कई और आरोपितों पर टिकी है। पेपर लीक करने वालों से लेकर साल्वर गिरोह के कई सदस्यों की तलाश चल रही है। जल्द ही अन्य आरोपी भी एसटीएफ के शिकंजे में होंगे।
प्रिंटिंग प्रेस की नहीं थी कोई सुरक्षा
यूपी एसटीएफ की जांच में पता चला कि संजय उपाध्याय और राय अनूप प्रसाद पहले से एक-दूसरे को जानते थे। अनूप की कंपनी के पास प्रिंटिंग प्रेस की सुरक्षा की कोई सुविधा नहीं थी। इसकी जानकारी होने के बाद भी संजय ने अनूप की कंपनी को बिना कोई गोपनीय जांच कराए ही वर्क आर्डर दिया और प्रिंटिंग प्रेस का निरीक्षण तक नहीं किया गया। एसटीएफ की जांच में संजय उपाध्याय को सरकारी धन का दुरुपयोग करने का भी दोषी पाया गया है। सिक्योरिटी प्रिंटिंग में एक प्रश्नपत्र के मुद्रण में 50 रुपये तक खर्च आता है। जो साधारण प्रिंटिंग की तुलना में काफी अधिक होता है। इन सभी तथ्यों की जानकारी होने के बाद भी एक ऐसी कंपनी को मुद्रण का काम दिया गया, जो एक भी मानक को पूरा नहीं करती थी।
अलग- अलग जगह छपे पेपर
जांच में पता चला कि आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड ने चार अलग-अलग प्रिंटिंग प्रेस में पेपर छपवाए थे। सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण प्रश्नपत्र लीक हो गया था। इन तथ्यों के सामने आने के बाद संजय उपाध्याय को एसटीएफ मुख्यालय बुलाकर पूछताछ की गई, जिसमें वह चहेती कंपनी को वर्क आर्डर देने को लेकर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश का कहना है कि एसटीएफ की प्रयागराज और नोएडा यूनिट सहित थाना सूरजपुर पुलिस की संयुक्त पूछताछ में पेपर लीक मामले में संजय की संलिप्तता पाई गई। मूलरूप से गाजीपुर के ग्राम चकिया निवासी संजय उपाध्याय को गौतमबुद्धनगर के सूरजपुर थाने में राय अनूप प्रसाद व अन्य के विरुद्ध दर्ज कराए गए मुकदमे के तहत गिरफ्तार किया गया है। एडीजी का कहना है कि संजय उपाध्याय के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य हैं।
परीक्षा शुरू होने से पहले लीक हुआ था पेपर
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा 28 नवंबर को आयोजित की गई थी। परीक्षा शुरू होने से पहले ही पेपर लीक हो गया था, जिसके कारण परीक्षा रद कर दी गई थी। इसमें 21.65 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल होने वाले थे। इस पूरे प्रकरण को राज्य सरकार ने काफी गंभीरता से लिया है। सरकार ने इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इंटरनेट मीडिया पर पेपर लीक करने सहित साल्वर गिरोह के करीब तीन दर्जन आरोपितों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है।
पीएनपी सचिव संजय उपाध्याय के बाद अब जल्द ही इस मामले में कुछ और बड़ों की गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) के स्तर पर गड़बड़ी होने के मामले में दूसरी बार सचिव पर बड़ी कार्रवाई की है। इसके पहले वर्ष 2018 में 68500 शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोप में इससे भी बड़ी कार्रवाई की थी, जिसमें तत्कालीन सचिव सुत्ता सिंह सहित कई अफसरों को निलंबित कर दिया गया था
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