लखनऊ: साहित्य जगत की विभूतियां हुईं सम्मानित, यूं हुआ स्वागत

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यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर आज संस्थान के यशपाल सभागार में अभिनन्दन पर्व एवं कहानी, कविता, निबंध प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया।

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर आज संस्थान के यशपाल सभागार में अभिनन्दन पर्व एवं कहानी, कविता, निबंध प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। यहां डाॅ. सदानन्दप्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष,

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार, डाॅ0 सूर्यप्रसाद दीक्षित बतौर अतिथि मौजूद रहे। इस अवसर पर सात बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। समारोह में डाॅ. मंजरी शुक्ला को सुभद्रा कुमारी चैहान महिला बाल साहित्य सम्मान,

सोहन लाल द्विवेदी बाल कविता सम्मान से श्याम पलट पाण्डेय, अमृत लाल नागर बाल कथा सम्मान से डाॅ. अनिता भटनागर जैन, लल्ली प्रसाद पाण्डेय बाल साहित्य पत्रकारिता सम्मान से श्याम नारायण श्रीवास्तव, डाॅ. रामकुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान से रवीन्द्र प्रताप सिंह,

जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान लेखन सम्मान से कल्पना कुलश्रेष्ठ एवं उमाकान्त मालवीय युवा बाल साहित्य सम्मान से सिराज अहमद को सम्मानित करते हुए प्रत्येक को रुपये इक्यावन हजार की धनराशि, उत्तरीय एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त कहानी,

कविता एवं निबन्ध प्रतियोगिता पुरस्कार हेतु चयनित युवा रचनाकारों में अभिषेक ठाकुर ‘अधीर‘, द्वारिका नाथ पांडेय, मृगांक मिश्रा, प्रिया सिंह, अमित कुमार, प्रभात कुमार राय, उत्कर्ष अग्निहोत्री, उत्कर्ष कौल, कृतिका सिंह, शिवांश पाण्डेय, विभा वैश्य, गौसिया परवीन एवं ऋषभ जैन को पुरस्कार धनराशि, उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र से पुरस्कृत किया गया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डाॅ. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि हिन्दी साहित्य देशकाल और परिस्थिति के अनुसार विस्तृत होता जा रहा है। बाल साहित्य युवा साहित्य और पौढ़ लेखन समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण होता है। परिमाण में बाल साहित्य बहुत अधिक लिखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि बच्चे को बचा लिया जाय तो अच्छे समाज का निर्माण किया जा सकता है। बाल रूप को समाज में बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है क्योंकि बाल रूप में मनुष्य निष्कपट होता है। मानवीय राग-विराग के विश्लेषण के लिए बाल मनोविज्ञान का अध्ययन करना चाहिए।

लेखक का तादात्म्य बाल्यावस्था के साथ जुड़कर बाल साहित्य रच सकता है। बाल साहित्य कौतुक लेखन से भी जुड़ा है। आधुनिक संसार में नवाचार को दृष्टिगत रखते हुए बाल साहित्य में परिवर्तन करना महत्वपूर्ण है। अध्यक्षीय सम्बोधन में डाॅ. सदानन्दप्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष,

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कहा कि हिन्दी संस्थान हिन्दी भाषा और साहित्य के माध्यम से प्रतिभाओं की खोज करने का प्रयास करता है। प्रतिमा के अंकुरण एवं प्रस्फुटन का माध्यम इस प्रकार की प्रतियोगिताएँ है। सभी प्रतिमाओं से उन्होंने मौलिकता को प्रकट करने का माध्यम साहित्य को बनाएँ।

वहीं निदेशक पवन कुमार, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कहा कि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित बाल साहित्य संवर्द्धन योजना के अन्तर्गत अभिनन्दन पर्व एवं युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित कहानी, कविता एवं निबन्ध प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह में आप सबका स्वागत एवं अभिनन्दन हैं।

इस मौके पर डाॅ. पूनम श्रीवास्तव, डाॅ0 अमिता दुबे समेत भारी संख्या में साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।

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