लखनऊ। यूपी चुनाव 2022 से पहले जातिगत और क्षेत्रगत संतुलन बनाने के लिए योगी सरकार ने अपने मंत्रीमंडल का विस्तार किया। योगी ने नए मंत्रियों को सोमवार को उनके विभाग भी सौंप दिए गए। नए विस्तार में इकलौते कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनाया गया है। इनके अलावा छह राज्य मंत्रियों को बांटे गए विभागों की जानकारी योगी ने खुद ट्वीट कर जानकारी जनता को दी।
यूपी में भाजपा ने ब्राह्मणों को अपने पाले में करने के लिए चंद माह पूर्व कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को विधान परिषद सदस्य मनोनीत कर कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाकर बड़ा विभाग दिया। इसके साथ ही नए मंत्रियों को भी विभाग बांट दिए गए। कैबिनेट मंत्री बनाए गए जितिन प्रसाद को प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनाया गया है। योगी कैबिनेट में पहले यह विभाग कमल रानी वरुण के पास था, जिनका कोरोना के चलते निधन हो गया। उसके बाद से यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही था। पल्टू राम को सैनिक कल्याण, होमगार्ड, प्रांतीय रक्षक दल एवं नागरिक सुरक्षा राज्यमंत्री बनाया गया है। इन विभागों के कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान थे। उनके निधन के बाद सीएम ने यह विभाग अपने पास ही रखे थे, जबकि राज्यमंत्री कोई नहीं था।
वहीं, सहकारिता विभाग में कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी के साथ राज्यमंत्री के रूप में डा.संगीता बलवंत को जिम्मेदारी दी गई है। अभी तक राज्यमंत्री कोई नहीं था। धर्मवीर प्रजापति को औद्योगिक विकास विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया है। पहले यह जिम्मेदारी सुरेश राणा निभा रहे थे, जिन्हें पहले विस्तार में प्रोन्नत कर गन्ना विकास एवं चीनी मिल विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया गया था। छत्रपाल सिंह गंगवार को राजस्व विभाग मिला है। कैबिनेट मंत्री के रूप यह विभाग सीएम ने अपने पास ही रखा है। संजीव कुमार को समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग सौंपा गया है। इन विभागों के राज्यमंत्री का जिम्मा पहले से जीएस धर्मेश निभा रहे हैं। अब दो-दो राज्यमंत्री होंगे।
इसी प्रकार दिनेश खटीक को जल शक्ति एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया है, जबकि बलदेव औलख के पास राज्यमंत्री के रूप में जल शक्ति पहले से है। इससे पहले विजय कश्यप के पास राजस्व और बाढ़ नियंत्रण विभाग थे। उनके निधन के बाद खाली इन विभागों में छत्रपाल को राजस्व और दिनेश खटीक को बाढ़ नियंत्रण दे दिया गया है। कोशिश यही की गई है कि पहले से विभाग संभाल रहे राज्यमंत्रियों के अधिकारों में कटौती न कर खाली विभागों में ही नए मंत्रियों का समायोजन किया जाए।