माफिया अतीक की बेनामी संपत्ति: आठ हजार कमाने वाला निकला आठ करोड़ की जमीन का मालिक

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Anonymous property of Mafia Atiq: The person earning eight thousand turns out to be the owner of land worth eight crores
मिट्टी में मिल चुके माफिया अतीक अहमद और अशरफ अहमद की काली कमाई का साम्राज्य सरकार की की सोच से भी बड़ा है।

प्रयागराज : मिट्टी में मिल चुके माफिया अतीक अहमद और अशरफ अहमद की काली कमाई का साम्राज्य सरकार की की सोच से भी बड़ा है। उन दोनों ने अपनी काली कमाई कहा— कहा किसके नाम पर बनाई है यह शायद उसके परिवार वालों को भी नहीं पता है। उन दोनों ने अपनी संपत्ति कई ऐसे लोगों के नाम पर कर रखी है,जिसकी उन्हें भी जानकारी नहीं है। ऐसा ही एक मामला शनिवार को सामने आया। एक आठ हजार रुपये कमाने वाला सफाई कर्मी आठ हजार का मालिक निकला । एक सफाईकर्मी के नाम नैनी, फूलपुर व हंडिया तहसील में बेशकीमती जमीनों का बैनामा सामने आया है।।पुलिस इन संपत्तियों की जांच में जुट गई है।

सफाई करता है श्यामजी

एक दिन पहले ही नवाबगंज के करोली निवासी इस सफाईकर्मी श्याम जी सरोज का नाम तब चर्चा में आया, जब उसने माफिया भाइयों के चार करीबियों पर मुकदमा दर्ज कराया। आरोप लगाया कि इन चारों ने अतीक-अशरफ की बेनामी संपत्तियों का बैनामा उसके नाम पर कराया। उसे बंधक बनाकर जबरन दस्तखत करवाए गए और दोनों की मौत के बाद उक्त संपत्तियों का बैनामा करने का दबाव भी बनाया गया।

कई गुर्गों के नाम पर है रजिस्ट्री

मुकदमा दर्ज कर पुलिस जांच-पड़ताल में जुटी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए। सूत्रों का कहना है कि उसके नाम पर फिलहाल, पांच जमीनों का बैनामा कराने की बात पता चली। इनमें से तीन अरैल के मीरखपुर उपरहार व मवैया और दो जमीनें हंडिया व फूलपुर के सरायइनायत में स्थित हैं। इनकी मौजूदा बाजार के अनुसार कीमत आठ करोड़ आंकी गई है।

खास बात यह है कि तीन साल पहले जब इन जमीनों का बैनामा कराया गया, तब वह महज आठ हजार महीने कमाता था। मामले में उसने अपने मालिक, माफिया के गुर्गों जावेद, उसके भाई कामरान व फराज अहमद खान निवासी जीटीबी नगर करेली व शुक्ला जी नाम के एक शख्स को नामजद कराया है।जिन भी संपत्तियों से संबंधित जानकारी मिली है, उनके बारे में और जानकारी जुटाई जा रही है। राजस्व प्रशासन के सहयोग से इन सभी का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा।

खाता भी खुलवाया

श्याम जी सरोज ने बताया कि आरोपियों ने उसके नाम पर आईसीआईसीआई बैंक में खाता खुलवा रखा था। साथ ही चेकबुक, एटीएम व पासबुक अपने कब्जे में रखे थे। ब्लैंक चेक पर दस्तखत करा लिए थे। साथ ही समय-समय पर उसके नाम एनआई एक्ट के तहत नोटिस भी भेजते रहते थे। उनका ऐसा करने का मकसद यह था कि अगर वह इधर-उधर भागने की कोशिश करे तो उसे कानूनी शिकंजे में फंसा सके। दरअसल श्यमजी सरोज 15 साल से आरोपियों के घर पर सफाई का काम करता है।

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