लखनऊ। प्रदेश के शहर से लेकर गांवों तक बिजली सप्लाई की व्यवस्था बेपटरी है, इस वजह लोगों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है। इन दिनों पड़ रही उमशभरी गर्मी और उन क्षेत्रों में जहां बारिश नहीं हो रही है, वहां सिंचाई का संकट खड़ा हो गया। इसके अलावा कम सप्लाई और लो वोल्टेज की वजह घरों में पेयजल का संकट खड़ा हो गया है।
सरकार से मिली जानकारी के अनुसार यह संकट प्रदेश चार उत्पादन इकाइयां ठप होने से खड़ा है। इसकी वजह से 1,925 मेगावाट बिजली उत्पादन कम हो गया है। ऐसे में पावर कॉर्पोरेशन ने ग्रामीण इलाके में ढाई घंटे से ज्यादा की कटौती शुरू कर दी है। लोकल फॉल्ट पहले की तरह है।
तकनीकि खराबी से आया संकट
सूत्रों के प्रदेश में इस समय बिजली की पीक मांग करीब 28 हजार मेगावाट और उपलब्धता 26,317 मेगावाट है। मेजा की उत्पादन इकाई नंबर दो में 15 अगस्त के बाद से 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन बंद है। अनपरा बीटीपीएस की यूनिट नंबर चार में 17 अगस्त से 500 मेगावाट उत्पादन ठप है। ललितपुर की 660 मेगावाट की यूनिट नंबर दो में 18 अगस्त से उत्पादन ठप है। यह यूनिट भी तकनीकी कारणों से बंद बताई गई है। हरदुआ की यूनिट नंबर सात से 105 मेगावाट का उत्पादन 20 अगस्त से ठप है। यहां कोयले की गुणवत्ता प्रभावित पाए जाने पर उत्पादन रोका गया है। इस तरह प्रदेश में 1,925 मेगावाट कम बिजली उत्पादन हो रहा है।
यह है आपूर्ति का शिड्यूल
ऊर्जा विभाग की ओर से निर्धारित शिड्यूल के तहत ग्रामीण इलाके में 18 घंटे बिजली दी जाती है लेकिन इन दिनों 15.31 घंटे की आपूर्ति की जा रही है। नगर पंचायत में 21.30 घंटे के स्थान पर 20.30 घंटे, तहसील में 21.30 घंटे के स्थान पर 21 घंटे और बुंदेलखंड में 20 घंटे के स्थान पर 18.45 घंटे बिजली दी जा रही है। इसी तरह जिला मुख्यालय, मंडल मुख्यालय, महानगर मुख्यालय और औद्योगिक क्षेत्र को 24 घंटे आपूर्ति का दावा किया गया है। तकनीकी कारणों से उत्पादन इकाइयां बंद हो गई थीं। अनपरा में सुधार हो गया है। अन्य इकाइयां भी मंगलवार तक चालू हो जाएंगी। ऐसे में बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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