अवीनो बेबी द्वारा भारतीय माता-पिता बच्चों की सेंसिटिव त्वचा पर किए गए सर्वे

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Survey conducted by Aveeno Baby on the sensitive skin of Indian parents and babies
इन माता-पिता ने निवारक इलाज को अपनाने का प्रमुख कारण बच्चे की रक्षा करने में मदद बताया है।

बिजनेस डेस्क। क्रॉस-कंट्री पैरेंटल अवेयरनेस ऑन अर्ली इन्टरवेंशन्स इन रिलेशन टू बेबी स्किनकेयर पर अध्ययन में सर्वे किए गए 80 प्रतिशत से ज़्यादा माता-पिता बच्चों की त्वचा को रूखी, खुजलीदार, संवेदनशील (जो एटोपिक या एक्जिमा प्रोन भी सकती है और नहीं भी) होने से बचाने के लिए निवारक इलाज करने के इच्छुक हैं। इन माता-पिता ने निवारक इलाज को अपनाने का प्रमुख कारण बच्चे की रक्षा करने में मदद बताया है।

लक्षणों से पहले ही मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल

भारत में 57 प्रतिशत माता-पिता ऐसे हैं जो बच्चे की त्वचा संवेदनशील होने का खतरा ज़्यादा होने की आशंका होने पर, लक्षणों के आने से पहले मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल कर सकते हैं। मात्र 26 प्रतिशत माता-पिता ऐसे हैं जो एक्ज़िमा जैसे लक्षणों को आने से रोकने के लिए मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करेंगे या नहीं इसके बारे में आशंकित हैं। कॉर्क विश्वविद्यालय में किए गए एक स्वतंत्र क्लिनिकल अध्ययन से पता चलता है कि एटोपिक प्रोन त्वचा में शुरुआती इलाज के तरीकों से स्किन बैरियर को बचाने में मदद मिल सकती है, जिससे एटोपिक डर्मेटाइटिस का खतरा कम हो सकता है। इन तरीकों में बच्चे के डॉक्टर से बात करके प्लान ऑफ़ एक्शन तय करना, हर दिन एमोलिएंट्स का इस्तेमाल और त्वचा की कोमल देखभाल के लिए रूटीन बनाना और उसका पालन करना शामिल हैं।

एलर्जी की समस्या

सिंगापुर में 25वीं वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ़ डर्मेटोलॉजी में साझा किए गए हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि जिन बच्चों के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को एलर्जी की तकलीफ रही है, उनकी त्वचा रूखी, खुजली वाली, संवेदनशील (जो एटोपिक या एक्ज़िमा से संबंधित हो भी सकती है और नहीं भी) होने की संभावना के बारे में समझने के लिए स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण है। केनव्यू की जॉनसन एंड जॉनसन कंज्यूमर आईएनसी. सहायक कंपनी द्वारा समर्थित एक अध्ययन में जांच की गयी कि क्या त्वचा स्वास्थ्य के कुछ मार्कर जन्म से ही बच्चों में एटोपिक या एक्जिमा प्रोन त्वचा होने के जोखिम का अनुमान लगा सकते हैं।

त्वचा को स्वस्थ्य को बनाए

अध्ययन में पाया गया कि त्वचा की सूजन के विशिष्ट मार्कर उन बच्चों में अधिक होते हैं जिन्हें बाद में एटोपिक ( डर्मेटाइटिस होता है। स्वास्थ्य देखभाल में इस प्रगति से पता चलता है कि त्वचा स्वास्थ्य मार्करों को क्लिनिकल प्रैक्टिस में एक स्थान मिल सकता है जिसका उपयोग स्थिति के बढ़ने की भविष्यवाणी करने के लिए किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, इन मार्कर से यह भी बताया जा सकता है कि किन लोगों को त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मॉइस्चराइज़र का उपयोग करने जैसे शुरुआती उपायों से लाभ मिल सकता है।

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